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शहीद को सलाम, होली की छुट्टियां मनाकर छत्तीसगढ़ गए थे शोभित

हापुड़। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार 13 मार्च को नक्सलियों के हमले में शहीद हुए नौ सीआरपीएफ के जवानों में हापुड़ के मोहल्ला शांति विहार में रहने वाले शोभित शर्मा भी शामिल हैं। दोपहर के समय छत्तीसगढ़ के सीआरपीएफ कंट्रोल रूम से जैसे ही शहीद के परिजनों को इस दुखद घटना के बारे में पता लगा तो गांव में कोहराम मच गया।

हापुड़ के इस बेटे के शहीद होने की खबर आग की तरह फैल गई और लोग शहीद के घर पर सांत्वना देने के लिए जुटने लगे। कुछ ही देर में जनप्रतिनिधियों का जमावड़ा लगना भी शुरू हो गया।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि शहीद शोभित होली की छुट्टी पूरी करने के बाद आज ही छत्तीसगढ़ पहुंचे थे, मूलरूप से गांव मुदाफरा के रहने वाले राधे श्याम शर्मा काफी समय पहले मेरठ रोड स्थित शांति विहार कालोनी में रहने आ गए थे। वह प्रधानाध्यापक पद से रिटायर हो चुके थे और दो साल पहले उनकी मौत हो गई थी।

उनके चार पुत्रों में से तीसरे नंबर के पुत्र शोभित शर्मा लगभग 14 साल पहले सीआरपीएफ में बतौर कांस्टेबिल तैनात हुए थे। उनकी वर्तमान में छत्तीसगढ़ के सुकमा में पोस्टिंग थी और आज वह ड्यूटी पर सुकमा ही जा रहे थे। जब यह हमला हुआ।

बता दें कि 18 फरवरी को शोभित शर्मा होली की छ़ुट्टी लेकर अपने घर आए थे, जहां परिवार के लोगों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से होली का त्योहार मनाया। शहीद शोभित शर्मा के छोटे भाई संदीप शर्मा ने बताया कि दो दिन पहले परिवार के लोग उन्हें रेलवे स्टेशन पर छोड़ने के लिए गए थे।

मंगलवार को ही उनके भाई छत्तीसगढ़ पहुंचे और वहां से सरकारी वाहन में सवार होकर सुकमा के लिए जा रहे थे। दोपहर करीब साढ़े तीन बजे वहां के कंट्रोल रूम से उनके भाई की पत्नी ज्योति शर्मा के फोन पर कॉल आई, जिसमें बताया गया कि शोभित शर्मा शहीद हो गए हैं। इस पर परिवार के लोगों में कोहराम मच गया था।

शहीद शोभित शर्मा का इकलौता पुत्र कृष्णा (8) नगर के मिशन स्कूल में कक्षा तीन का छात्र है और इस दर्दनाक खबर मिलने के बाद से वह काफी गुमसुम हो गया है। जबकि शहीद की पत्नी ज्योति का भी रो-रोकर बुरा हाल है। घर में विधवा मां रतनेश देवी, भाई नरेंद्र शर्मा, वीरेंद्र शर्मा और संदीप शर्मा का सांत्वना देने के लिए सबसे पहले भाजपा विधायक विजयपाल आढ़ती पहुंचे।

इसके बाद पालिकाध्यक्ष प्रफुल्ल सारस्वत पहुंच गए। देर शाम तक मोहल्ले के लोग उनके आवास के बाहर एकत्रित थे और दुख की इस घड़ी में उन्हें सांत्वना देने का प्रयास कर रहे थे।

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Dileep Kumar
the authorDileep Kumar