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अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, रामजन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन

लखनऊ। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने का फैसला किया है। इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर पूरे देश और खास तौर पर उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दिया गया है। राज्यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों को हाई अलर्ट मोड पर रहने को कहा गया है।

अयोध्या पर फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि हिंदू मानते हैं कि गुंबद के नीचे रामलला का जन्म हुआ। आस्था पर जमीन के मालिकाना हक का फैसला नहीं है। सीजेआई ने ASI की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विवादित ढांचा खाली जमीन पर नहीं बनाया गया था। CJI रंजन गोगोई ने कहा कि हिंदू गुंबद के नीचे ही रामलला का जन्मस्थान मानते हैं, मुस्लिम उसे इबादत की जगह मानते हैं। दावों पर कोई फैसला नहीं दिया जाता. लेकिन, हिंदू मानते हैं कि गुंबद के नीचे ही रामलला का जन्मस्थान है। विवादित स्थल पर हमेशा से पूजा होती आई है। हिंदू वहां सीता की रसोई भी मानते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि लोग विवादित स्थल के अंदरूनी हिस्से को ही राम जन्म भूमि मानते हैं। अंदरूनी हिस्से में हमेशा से पूजा होती थी। उन्होंने आगे कहा कि इस केस में हिंदू पक्ष ने कई ऐतिहासिक सबूत दिए। बाहरी चबूतरा, राम चबूतरा और सीता की रसोई में भी पूजा होती थी। सीजेआई ने कहा- विवादित स्थल पर मस्जिद बनने के बाद से नमाज का दावा साबित नहीं होता। 1949 तक मुस्लिम मस्जिद में नमाज अदा करते थे। मुस्लिमों ने मस्जिद को कभी नहीं छोड़ा।

रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि अयोध्या के विवादित स्थल के बाहरी क्षेत्र पर हिंदुओं का दावा साबित होता है। 1856 से पहले मुस्लिमों का गुंबद पर दावा साबित नहीं होता , खुदाई में मिला ढांचा गैर इस्लामिक था लेकिन मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का प्रमाण नहीं। अंदरूनी हिस्सा विवादित है। सुन्नी वक्फ बोर्ड को विवादित स्थल की 5 एकड़ जमीन दी जाए। सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक जमीन दिया जाए। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन दे।” सीजेआई ने कहा।

अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी। रामलला को जमीन के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के पांचों जजों ने एकमत से ये फैसला दिया। कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा लिमिटेशन के बाहर है।सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल का अंदरूनी और बाहरी चबूतरा ट्रस्ट को दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केंद्र सरकार 3 महीने में ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण का काम शुरू करे।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH