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कमलेश तिवारी हत्याकांड: सरेंडर के लिए कातिलों ने किया था लखनऊ के वकील को फोन

लखनऊ। हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी के हत्यारे अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। इस बीच हत्या के आरोपियों द्वारा सोमवार को पुराने शहर के ठाकुरगंज निवासी एक वकील को कॉल करने की बात सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार हत्या के आरोपियों ने सरेंडर करने के लिए वकील से संपर्क किया था। हालांकि दोबारा फोन नहीं आया। इस जानकारी के बाद पुलिस छानबीन में जुट गई है।ठाकुरगंज निवासी एक वकील को सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे कॉल आई। सूत्रों के अनुसार फोन करने वालों ने खुद का परिचय कमलेश हत्याकांड के आरोपी शेख अशफाक हुसैन और पठान मोइनुद्दीन अहमद के रूप में देते हुए कोर्ट में सरेंडर करने की इच्छा जताई। वकील ने थोड़ा समय मांगा था। वकील से आरोपियों के संपर्क करने की जानकारी होते ही पुलिस अलर्ट हो गई।

कमलेश तिवारी की हत्या के चौबीस घंटे बाद पुलिस महानिदेशक ने भले ही प्रेसवार्ता कर दावा किया हो कि “हमने पूरे मामले का खुलासा कर दिया है।” लेकिन सच तो यह है कि संदेह के आधार पर तीन आरोपियों को गुजरात और महाराष्ट्र एटीएस ने पकड़ा है। इस पूरे मामले में यूपी पुलिस की शिथिलता ही नजर आ रही है। उप्र पुलिस ने अभी तक एसआईटी टीम गठन के अलावा कोई कामयाबी हासिल नहीं कर पाई है। कुछ लोगों का हालांकि कहना है कि पुलिस अगर सक्रिय होती तो एटीएस के ‘हिंट’ के बाद दो आरोपी फरार न होते।

कुछ लोगों ने कमलेश तिवारी की सुरक्षा को कम करने के लिए यूपी पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया है। कमलेश की मां कुसुम तिवारी को भी पुलिस प्रशास से शिकायत है। उन्होंने कहा, “इस सरकार में कमलेश की सुरक्षा लगातार कम की गई। अखिलेश यादव की सरकार में कमलेश को 17 सुरक्षाकर्मी मिले थे, जो कम होते-होते आठ तक सिमट गए और योगी की सरकार में यह संख्या घटकर चार तक पहुंच गई। दो कमलेश के साथ चलते थे और दो दफ्तर में रहते थे। जिस दिन कमलेश की हत्या हुई, उस दिन एक भी सुरक्षाकर्मी उनके साथ नहीं था।”

कुसुम तिवारी का साफ कहना है कि पुलिस ने अगर सुरक्षा दी होती तो शायद इतनी बड़ी घटना न हो पाती। उधर, कमलेश के बेटे ने भी पुलिस कार्रवाई से पर अविश्वास प्रकट करते हुए कहा, “मुझे नहीं पता है कि जो लोग पकड़े गए हैं उन्हीं लोगों ने मेरे पिता को मारा है या फिर निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है। यदि वास्तव में यही लोग दोषी हैं और इनके खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं तो इसकी जांच एनआईए से कराई जाए, क्योंकि हमें इस प्रशासन पर कोई भरोसा नहीं है।”

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH