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बाहुबली अनंत सिंह ने दिया सभी को चकमा, हाथ मलती रह गई पुलिस

पटना। उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति की जब बात आती है तब राजनेताओं से ज़्यादा बाहुबली नेताओं का नाम लिया जाता है। इसके पीछे का कारण यह है कि हर सरकार में कुछ ना कुछ ऐसे नेता ज़रुर ही होते है जिन्हें बाहुबली या फिर दबंग का तमगा हासिल होता है। आपने हिंदी फिल्मों में अक्सर ऐसा देखा होगा कि क्षेत्र में एक नेता होता है जिसकी पूरे क्षेत्र में हुकुमत चलती है कोई भी उसके सामने सिर उठाने की ज़ुर्रत नहीं करता वह चुनाव लड़ता है और हर बार जीतता है। पुलिस से लेकर प्रशासन सभी उसके सामने नत्मस्तक रहते है। उसे हर तरह से सरकारी संरक्षण मिला होता है, सरकार में बैठे बड़े-बड़े सत्ताधारियों का उसके सिर पर हाथ होता है और अपने उन्हीं राजनैतिक गुरुओं की आड़ में वह मनमानी करता है। वह अपने क्षेत्र में तो एक रॉबिनहुड की छवि रखता है यानी अपने क्षेत्रवासीयों के लिए वह भगवान से कम नहीं होता लेकिन क्षेत्र के बाहर के लोगों के लिए वह नेता खौफ का पर्याय बन जाता है।

बिहार की राजनीति में एक नाम ऐसा है जिसके किस्से लोगों की ज़ुबान पर हमेशा ही रहते है और वह नाम है बाहुबली विधायक अनंत सिंह। शायद ही कोई ऐसा होगा जो अनंत सिंह के नाम से वाकिफ ना हो यह वही अनंत सिंह जो कभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे। दोनों लोगों की बिहार में पकड़ ऐसी थी की जहाँ नीतीश कुमार को बड़े तो अनंत सिंह को छोटे सरकार कहा जाता था। यह बाहुबली पुलिस से लोहा लेने से भी पिछे नहीं हटता था। इनके इतिहास को तो हम सब जानते ही है आज बात करते है इनके मौजूदा समय की यानी कि इनके वर्तमान की।

नीतीश कुमार के संरक्षण में इस बाहुबली का दिमाग इस कदर आसमान चढ़ गया कि इसका जब जो मन आया इसने तब वह किया। आरोपों की बात करें तो इनके ऊपर आरोपों का अंबार लगा हुआ है। इनका यही रवैया एक समय के बाद खुद नीतीश कुमार के लिए ही शर्मिंदगी का कारण बन गया और उन्होनें अपनी साख बचाने के लिए इन जनाब के सिर से अपना हाथ वापस ले लिया। वक्त की यही तो खास बात है कि इसका पहिया घूमा और बाहुबली के गोल्डेन टाइम पर ग्रहण लग गया। नीतीश कुमार और ललन सिंह दोनों इनके खिलाफ हो गए और अभी हाल ही में जब पुलिस ने इनके पैत्रिक आवास पर छापेमारी की तो इनके घर से एके-47, गोलियां और हैंड ग्रेनेड बरामद हुए। जिसके बाद इनकी गिरफ्तारी होना निश्चित था।

शनिवार देर रात से आज सुबह तक जब पटना पुलिस उनकी गिरफ़्तारी करने पटना के उनके आवास पर पहुंची तो अनंत सिंह नदारद थे, इससे यह बात साफ हो जाती है कि बाहुबली को अपनी गिरफ्तारी का पूरा अंदाज़ा था लेकिन पुलिस के लिए इस शख्स को पकड़ पाना इतना भी आसान काम नहीं था क्योंकि पुलिस महकमे के अंदर अनंत सिंह से वफादारी निभाने वालों की कमी नहीं है। वर्ना अपने गांव में चल रही छापेमारी के दौरान जो इंसान अपने घर में बैठकर न्यूज़ चैनल वालों को इंटरव्यू दे रहा था वह 24 घंटे बाद गायब कहा हो गया। बात एकदम सीधी सी है कि वारंट जारी होते ही उन्हें टिप दे दी गई थी।

वैसे आपको बता दें कि अगर अनंत सिंह गिरफ्तार होते है तो नितिश कुमार के कार्यकाल में यह उनकी गिरफतारी का तीसरा मौका होगा इससे पहले 2008 और 2015 में पत्रकार और राजद कार्यकर्ताओं की पिटाई करने के मामले में अनंत जेल की हवा खा चुके है पर इस बार ललन सिंह से दुश्मनी इन्हें महंगी पड़ सकती है और इनकी जेल यात्रा की अवधी भी लंबी हो सकता और सज़ा भी कड़ी होने के पूरे कयास लगाए जा रहे है। वैसे जिस तरह से पुलिस ने अनंत सिंह के घर छापेमारी की है और जिस तरह से एक बाहुबली भागने पर मजबूर हुआ उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि बिहार अब बदल रहा है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH