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तकदीर ने खेला ऐसा खेल, भाई बना सिपाही और बहन नक्सली

नई दिल्ली। 15 अगस्त को देश में बड़े ही धूम-धाम से स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है लेकिन इस बार यह मौका और भी खास है क्योंकि इस बार स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन दोनो ही मौके एक साथ पड़े है। लोग एक तरफ झंडारोहण करेंगे तो दूसरी तरफ बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बाँधेंगी। वैसे तो यह बेहद खुशी का मौका है पर इसी मौके को ध्यान में रखते हुए हम आपके लिए एक दिल को छू लेने वाली ऐसी कहानी लेकर आए है जो किस्मत के खेले हुए खेल का एक अलग ही पहलू आपके सामने रख देगी। इस कहानी में उतरकर आपके दिल से एक टीस तो ज़रुर ही निकलेगी। दरअसल यह कहानी है एक ऐसे भाई-बहन की जिन्होनें अपना बचपन नक्सलियों के बीच रहकर गु़ज़ारा। हालांकि भाई तो वहाँ से निकलकर पुलिस में भर्ती हो गया पर बहन ने गुनाह का रास्ता छोड़ेने से इंकार कर दिया और फिर एक दिन वह आया जब दोनो की मुलाकात जंग के मैदान मे हुई थी ।

जैसा कि आप सब जानते ही है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में आए दिन नक्सलियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ की खबरें आती ही रहती हैं, लेकिन बीते दिनों एक ऐसी नक्सल मुठभेड़ हुई जो इन दिनों सुर्खियों में है क्योंकि इस मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी भाई और उसकी सगी नक्सली बहन के बीच गोलीबारी हुई थी। हालांकि, पुलिस की जवाबी कार्रवाई के बाद नक्सली जंगल में भाग गए और नक्‍सली बहन भी पुलिसकर्मी भाई के हाथ से बच निकली थी। दिन था 29 जुलाई का और छत्तीसगढ़ के सबसे ज़्यादा नक्सल प्रभावित सुकमा जिले का बालकातोंग इलाके का जंगल सुबह से ही गोलियों की आवाज से गूंज रहा था। पुलिस को यह जानकारी हाथ लगी थी कि जंगल में बड़ी संख्‍या में नक्सली मौजूद हैं। इसी जानकारी के आधार पर पुलिस की टीम मौके पर पहुंची थी लेकिन नक्सलियों को पहले से ही पुलिस के वहाँ आने की भनक लग चुकी थी और पुलिस के आने की आहट मिलते ही नक्‍सलियों ने हमला कर दिया जिसके बाद दोनों ओर से अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई। पुलिस टीम में सहायक आरक्षक वेट्टी रामा गाइड के तौर पर शामिल थे ।

पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ चल ही रही थी कि वेट्टी रामा के एक साथी ने उन्हें कहा कि देखो तुम्हारी बहन कन्‍नी नजर आ रही है। जब तक रामा उसकी तरफ देख पाता तब तक वह नजरों से ओझल हो गई। वेट्टी रामा ने अपनी बहन को आवाज भी लगाई लेकिन वह उसे अनसुना करके वहाँ से भाग निकली और क्योंकि अब रक्षा बंधन का पर्व नजदीक आ रहा है ऐसे में वेट्टी रामा को वह दिन याद आ रहा है जब उसकी बहन वेट्टी कन्नी ने भी उसकी कलाई पर राखी बांधी थी और भाई ने अपनी बहन की रक्षा का प्रण लिया था। यह दोनों भाई बहन गगनपल्ली गांव के रहने वाले हैं। वेट्टी रामा उस दिन को याद कर आज भी सिहर उठते है, जब नक्सली गांव में आए और दोनों भाई-बहनों को अपने साथ ले गए। बाद में नक्सलियों ने उन्हें अपने संगठन में बाल नक्सली के रूप में शामिल कर लिया था।

इसी संगठन में रह कर दोनों बड़े हुए हालांकि, वेट्टी रामा को अक्‍सर यह महसूस होता था कि नक्सलियों की विचारधारा पूरी तरह खोखली और गलत है। धीरे धीरे संगठन से उसका मोह भंग हो गया और करीब एक साल पहले उसने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, जिसके बाद वेट्टी रामा को पुलिस विभाग में सहायक आरक्षक बना लिया गया। हालांकि वेट्टी रामा ने कई बार अपनी बहन को समझाने की कोशिश भी की पर कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन एक उम्मीद के चलते रामा ने कन्नी को एक बार फिर खत लिखकर समझाने की कोशिश की और कहा ‘रक्षा बंधन हैं, मैं एकबार फ‍िर अपील करता हूं कि मुख्य धारा में लौट आओ मेरी बहन।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH