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Pranaam Review: 80 के दशक की छात्र राजनीति और खस्ताहाल पुलिसिया व्यवस्था की कहानी है ‘Pranaam’

मुंबई। फिल्म प्रणाम बॉक्स ऑफिस पर रिलीज़ हो चुकी है और इसी के साथ ही लोगों को काफी पसंद भी आ रही है। फिल्म के पास पसंद आने के कई कारण हैं। स्टोरी से लेकर फिल्म के गाने और गानों से लेकर फिल्म का स्क्रीनप्ले, फिल्म में कलाकारों का अभिनय और डायरेक्टर संजीव जयसवाल का डायरेक्शन हर किसी के दिल में अपनी अलग जगह बनाने में पूरी तरह से कामयाब रहा है। फिल्म की स्टोरी की बात की जाए तो यह कहानी है अजय सिंह नाम के लड़के की और अजय के कैरेक्टर में है राजीव खंडेलवाल। अजय जोकि एक फोर्थ क्लास कर्मचारी का बेटा है और अपने पिता के सपनों को साकार करने की हर मुमकिन कोशिश करने में लगा रहता है।

अजय के पिता का सपना है कि एक दिन उनका बेटा कलेक्टर बने और इसी सपने को पूरा करने के लिए वह लखनऊ यूनिवर्सिटी हॉस्टल में रहकर दिन रात पढ़ाई पर ध्यान देता है। फिल्म में अजय के सबसे करीबी दोस्त के रोल में नज़र आए है अनिरुद्ध दवे। इसी सबके साथ अजय की जिंदगी में एंट्री होती है मंजरी शुक्ला यानी समीक्षा सिंह की। दोनों आईएएस की तैयारी कर रहे होते है। यहां तक तो सब कुछ ठीक चलता है पर इसके इसके बाद फिल्म में ट्विस्ट एंड टर्न्स आने शुरु हो जाते है और फिल्म में आपको रोमांस, ड्रामा, एक्शन और एक रिवेंज स्टोरी का फुलऑन डोज़ मिलना शुरु हो जाता है।

दिखाई गई पेपर लीक की घटना

फिल्म में यूनिवर्सिटी में होने वाले पेपर लीक की घटना को दिखाया गया है जिसपर रोक लगाने के लिए एक कमेटी गठित की जाती है जिसके प्रमुख बनाए जाते तेज प्रताप सिंह यानी की विक्रम गोखले जोकि एक बड़े इमानदार इंसान होते है जिसके चलते छात्र नेता ज्ञानू सिंह के लिए पेपर तक पहुंचना मुश्किल हो जाता। ज्ञानू सिंह के रोल में अभिमन्यु सिंह ने अपनी दमदार एक्टिंग से जान डाली है जोकि एक छात्र नेता होने के साथ साथ एक जाने माने गुंडे भी है। इस बेसह ज्ञानू सिंह तेज प्रताप सिंह के घर से पेपर चोरी करवा देता है जिसके चलते तेज प्रताप सिंह को जेल हो जाती है इसके बाद तेज प्रताप सिंह की बेटी ज्ञानू सिंह की और उसकी गैंग के चंगुल में फंस जाती है और उसे बचाने के चक्कर में अजय यानी राजीव खंडेलवाल ज्ञानू सिंह की हत्या कर देता है।

इस घटना के बाद अजय और उसके दोस्त पुलिस से बचने के लिए भागे-भागे फिरते हैं और हालात बद से बदतर होते चले जाते है। इसी आपाधापी में आईएएस की तैयारी करने वाला लड़का गैंगस्टर बन जाता है और यहां से अजय और उसके गैंग का सामना अपने दुश्मनों से उनकी आंखों में आंखों डालकर होता है और एक इमोशनल और रोमांटिक स्टोरी जंग के मैदान में तबदील हो जाती है। इसके बाद की कहानी आपको सिनेमालहॉल तक जाकर देखनी होगी।

 

एक्टिंग और डायरेक्शन

फिल्म के सभी पात्रों ने अपनी दमदार एक्टिंग और डॉयलॉग्स से अपने अपने किरदारों में जान फूंक दी है। दिल को छू लेने वाले गानों और म्यूज़िक ने फिल्म की हर सिचुएशन में चार चांद लगा दिए है। संजीव जयसवाल का डायरेक्शन अपने आप में इतना काबिल-ए-तारीफ है कि कही भी फिल्म को ढीला नहीं पड़ने देता और फिल्म आपको हर वक्त ना सिर्फ सोचने पर मजबूर कर देती है बल्कि आपको खुद से जोड़े भी रखती है। हम तो आपसे यही कहेंगे की अगर आप क्लासिक सिनेमा देखना चाहते है तो फिर परिवार और दोस्तों के साथ जाकर इस फिल्म को ज़रुर देखे। हम देते है इस फिल्म को 10 में 9 नंबर।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH