नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू एवं कश्मीर के पुनर्गठन का विधेयक पेश किया। इस विधेयक के अनुसार, जम्मू एवं कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया। इसमें जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, वहीं लद्दाख दूसरा केंद्र शासित प्रदेश होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प पेश किया। यह अनुच्छेद जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है।
आइए जानते हैं क्या है आर्टिकल 370
साल 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश के बाद संविधान में यह अनुच्छेद जोड़ा गया था जो जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार प्रदान करता है और राज्य विधानसभा को कोई भी कानून बनाने का अधिकार देता है, जिसकी वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती। यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर के लोगों को छोड़कर बाकी भारतीय नागरिकों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने और राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ लेने से रोकता है। राज्य में पीडीपी के साथ गठबंधन की सरकार में शामिल बीजेपी बुनियादी तौर पर धारा 370 के खिलाफ रही। उसके कई चुनावी घोषणा पत्र में सरकार में आने पर धारा 370 को समाप्त करने की बात कही गई थी।
क्या है आर्टिकल 35ए
अनुच्छेद 35ए, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार प्रदान करता है। यह अधिकार ‘स्थायी निवासियों’ से जुड़े हुए हैं। इसके तहत राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से राज्य में आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दे या नहीं दे।
14 मई 1954 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के एक आदेश के जरिये संविधान में एक नया अनुच्छेद 35ए जोड़ा गया था। यह धारा 370 का ही अंग है। इस धारा के अनुसार दूसरे राज्य का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है।