लखनऊ। यूपी में अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं इसका नज़ारा हमें बुधवार को संभल में देखने को मिला। चन्दौसी न्यायालय में पेशी के बाद वापस मुरादाबाद जेल ले लाए जा रहे तीन बंदी वैन में मौजूद दो सिपाहियों की हत्या कर फरार हो गए। बंदियों ने योजनाबद्ध तरीके से सबसे पहले सिपाहियों की आंख में मिर्च पाउडर डाला, उसके बाद उन्हें अपने पास मौजूद पिस्टल और तमंचे से गोली मार दी। इससे दोनों सिपाहियों की मौके पर ही मौत हो गई। बदमाश दोनों सिपाहियों की रायफल लेकर फरार हो गए।
संभल के पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने बताया कि दो सिपाहियों को गोली मारकर तीन कैदी फरार हो गए। दोनों सिपाहियों की इलाज के दौरान मौत हो गई। फरार हुए कैदियों में पहला कैदी कमल बहादुर और दूसरा कैदी शकील ब्रह्मपुरा थाना के बहजोई का और तीसरा कैदी धर्मपाल भगतपुर बहजोई का रहने वाला है। तीनों कैदियों की चंदौसी में पेशी होने के बाद गाड़ी उन्हें लेकर वापस मुरादाबाद जेल लौट रही थी, उसी दौरान यह घटना हुई। एसपी ने बताया कि घटना में पुलिसकर्मी ब्रजपाल व हरेंद्र की मौत हो गई है। दोनों पुलिसकर्मी पुलिस लाइन बहजोई में तैनात थे। बदमाश एक पुलिसकर्मी की राइफल भी अपने साथ ले गए हैं।
चश्मदीद सिपाही ने बताया कि वह बुधवार को मुरादाबाद जेल में 24 कैदियों को संभल जिले की चंदौसी की अदालत में पेश करने के लिए 6 पुलिसकर्मियों के साथ वैन में गए थे। पेशी कराने के बाद कैदियों को उसी वैन में वापस मुरादाबाद जेल ले जा रहे थे। तभी संभल जिले में देवाखेड़ा गांव के तीन कैदी वैन के भीतर ही सिपाहियों से हाथापाई करने लगे। इसके बाद दूसरे कैदी भी उनका साथ देने लगे।
इस दौरान उन्होंने सिपाहियों के साथ मारपीट कर सरकारी हथियार छीन लिया। विरोध करने पर सिपाही हरेंद्र सिंह और ब्रजपाल सिंह को गोली मार दी। दोनों सिपाहियों ने वैन में ही दम तोड़ दिया। बाकी पुलिस वालों को भी जान से मारने की धमकी देकर तीनों कैदी वैन का ताला तोड़ भाग गए। फरार कैदी पुलिस वालों की सरकारी राइफल भी साथ ले गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब फरार हुए कैदियों और बदमाशों की तलाश में जुट गई है।
वहीँ, इस घटना से यूपी पुलिस काफी आहत है। यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात विंध्य विनय ने एक पोस्ट लिखकर शहीद पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजलि दी है। विंध्य विनय ने अपने पोस्ट में लिखा- हम उनमे है जिनकी कोई हस्ती नही होती, हम टूट (शहीद ) भी जाए तो तमाशा नही होता। जीते जी न सही शहादत पर सम्मान तो मिलना ही चाहिए।