नई दिल्ली। सुबह के साढ़े चार बज रहे थे। बस में करीब 50 यात्री सवार थे जिसमें से ज़्यादातर लोग सो रहे थे। रोड पर ज़्यादा भीड़ न होने की वजह से बस काफी रफ़्तार में थी। कंडक्टर असनीस शुक्ला का कहना है कि उसे अच्छे से तो नहीं याद की बस की वास्तविक स्पीड क्या थी लेकिन उसे इतने ज़रूर याद है कि बस एक तेज़ गति से 60 मीटर की रेलिंग पर चढ़ गयी और कोई कुछ समझ पाता इससे पहले ही बस रेलिंग से उतर कर गयी फिर रेलिंग को तोड़ते हुए 50 फ़ीट नीचे नाले में गिर गयी। उनका कहना है कि सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि किसी को कुछ सोचने समझने का समय ही नहीं मिला और यह दिल दहला देने वाला हादसा हो गया।
ड्राइवर ने आगे बताया कि सुबह के समय गांव के लोग शौच के लिए आस पास के क्षेत्र में आए हुए थे। उनमे से निहार सिंह नाम के एक व्यक्ति ने लोगों की चीखें सुन ली और वह तेज़ गति से बस की ओर दौड़ा। उसने देखा की लोगों से भरी एक टूटी हुई बस नाले में गिरी हुई है। उसने बिना समय गवाए 100 नंबर डायल कर दिया और लोगों को सुरक्षित निकलने के लिए हाथ पैर मारने लगा। तब तक आस-पास के गांव के लोग भी वहां इकट्ठा होने लगे। सभी ने बचाव का काम शुरू कर दिया लेकिन तय वक्त पर राहत न मिलने की वजह से कई लोगों की मौत हो चुकी थी।
असनीस शुक्ला का कहना है कि दो घंटे पहले ही बस कन्नौज में रुकी थी तब ड्राइवर बिलकुल सही था और किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि कुछ ही देर में ड्राइवर की एक झपकी की वजह से सभी इस दर्दनाक हादसे का शिकार हो जाएंगे। फिलहाल बस ड्राइवर और कंडक्टर का इलाज पास ही के एक अस्पताल में चल रहा है।
रिपोर्ट: पूर्णिमा सिंह