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जब इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर घोंटा था लोकतंत्र का गला, वो दिन याद कर कांप जाती है लोगों की रूह

नई दिल्ली। 25 जून 1975, ये वो दिन था जब भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गयी थी। आज ही के दिन 44 साल पहले भारत में 21 महीने का आपातकाल इंदिरा गांधी द्वारा लागो किया गया था। देश में आई इस आपातकालीन स्थिति ने लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन और आगामी चुनाव को निरस्त तो किया ही था साथ ही देश में क्रोध और आक्रोश का माहौल भी खड़ा कर दिया था। ये आपातकाल तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर 22 जून 1975 से लेकर 21 मार्च 1977 तक के लिए लगाया था।

आज 25 जून 2019 को आपातकाल की 44 सालगिरह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया कि “भारत उन सभी महानुभावों को सलाम करता है जिन्होंने आपातकाल का जमकर विरोध किया। भारत का लोकतांत्रिक लोकाचार एक अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक हावी रहा।” मोदी के साथ अन्य नेताओं राजनाथ सिंह, अमित शाह, ममता बनर्जी, किरेन रिजिजू ने भी ट्वीट आपातकाल की 44 सालगिरह पर ट्वीट किया।

देश में लगा ये आपातकाल का कारण सरकार ने देश में चल रही आंतरिक गड़बड़ी को लेकर भारत की सुरक्षा बताया जबकि इसका असल कारण तो कुछ और ही था। इस आपातकाल का असल कारण भारत की सुरक्षा नहीं बल्कि इंदिरा गांधी की सुरक्षा था। दरअसल 1973-1975 के बीच इंदिरा गांधी और उनकी पार्टी के खिलाफ अन्य राजनीतिक दलों में काफी अशांति पैदा हो गई थी और इसके साथ ही गुजरात में कई कांग्रेसी नेताओं ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की भी मांग रख दी।

इतना ही नहीं 1971 के लोक सभा चुनाव में रहे उनके प्रतिद्वंदी राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव के नतीजे को चुनौती देते हुए इंदिरा गांधी पर सरकारी मशीनों का दुरूपयोग, तय सीमा से अधिक पैसा खर्च कारन और मतदाताओं को गलत तरह से प्रभावित करने के आरोप लगा दिए। कोर्ट ने इन आरोपों को सही ठहराते हुए इंदिरा गांधी पर 6 साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबन्ध लगा दिया और साथ ही उनके दुश्मन राजनारायण सिंह को चुनाव में विजयी घोषित कर दिया।

इंदिरा गांधी ने अदालत के फैसले को नकारते हुए इस्तीफ़ा देने से इनकार कर दिया और सर्वोच्च अदालत में अपील करने की घोषणा की और साथ ही आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी। इस दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया। साथ ही सरकार ने विरोधी भाषणों पर प्रतिबंध लगा दिया। इतना ही नहीं इस आपातकाल के चलते आगमी चुनाव भी निरस्त कर दिए गए और और समाचार पत्रों को एक विशेष अचार संहिता के तहत सरकारी सेंसर से होकर गुज़रना पड़ता था।

इसके साथ ही कई बड़े विपक्षी नेताओं मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीज, जयप्रकाश नारायण और चन्द्रशेखर को भी जेल भेज दिया गया। इस आपातकाल ने लोगों में इंदिरा गांधी के खिलाफ नाराज़गी और आक्रोश भर दिया। इंदिरा गांधी ने अपनी सुरक्षा के लिए देश के लोकतंत्र का गला घोट दिया।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH