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Birthday Special: “विकेटकीपिंग में नहीं था परफेक्ट, बॉल सीधे मेरे चेहरे पर लगी…आंख बाल-बाल बची थी”

क्रिकेट जगत के ‘भगवान’ कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर आज यानि 24 अप्रैल को अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं। सचिन ने भले ही  क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, लेकिन आज भी वो लाखों क्रिकेट फैन्स के दिलों पर छाए हुए हैं। मशहूर मराठी कवि रमेश तेंदुलकर के घर जन्मे सचिन को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। उनके इसी शौक ने बाद में उन्हें दुनिया भर में कभी न मिटने वाली पहचान दिलाई। सचिन की ऑटोबायोग्राफी भी आई है और उसमें उनके बारे में कुछ अनसुनी और दिलचस्प बातें बताई गई हैं। उन्हीं किस्सों में से एक किस्सा यह है-हम सबने सचिन को आपने बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग करते हुए देखा है, लेकिन इंटरनेशनल करयिर में उन्होंने बस एक ही चीज नहीं की और वो है विकेटकीपिंग। पको बता दें बचपन में एक बार उन्होंने कीपिंग में हाथ आजमाया था, लेकिन इसका उन्हें भारी नुकसान भी उठाना पड़ा था। जिसके बारे में अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘प्लेइंग इट माइ’ वे में बताया है।उन्होंने शिवाजी पार्क खेले गए अपने एक मैच के बारे में बताया, उन्होंने बताया कि,”बचपन में मेरी जिंदगी एडवेंचर से भरी थी। मैं शिवाजी पार्क में क्रिकेट खेल रहा था। तब मेरी उम्र 12 साल की थी और मैं अपनी टीम का कैप्टन था और मेरी टीम के विकेटकीपर को चोट लग गई थी। मैंने अपनी पूरी टीम से पूछा कि क्या कोई विकेटकीपिंग करेगा, लेकिन कोई किसी ने हां नहीं बोला। जिसके बाद मुझे खुद विकेट कीपिंग करनी पड़ी।’सचिन ने कहा, ‘मैं विकेटकीपिंग करने में परफेक्ट नहीं था और तभी एक बॉल मिस हुई और तेजी से मेरी तरफ आई। मैं इससे पहले कुछ करता, बॉल सीधे मेरे चेहरे पर लगी। मुझे काफी गहरी चोट लग गई थी और खून भी काफी बहने लग गया था। मेरी आंख बाल-बाल बची थी।’उन्होंने आगे इस बारे में यह भी बताया कि उस समय उनके पास इतने पैसे नहीं हुआ करते थे कि वो टैक्सी से घर जाए और बस में बैठकर जाने से भी उन्हें शर्म आ रही थी इसलिए वो अपने एक दोस्त की साईकिल में लिफ्ट मांगकर पीछे बैठकर जाते थे। जब वो घर पहुंचे, तब उनके घर पर माता-पिता नहीं थे, पर दादी थीं। सचिन ने अपनी दादी से इस चोट के बारे में किसी को भी बताने से मना कर दिया था। जिसके बाद उनकी दादी ने कहा कि उन्हें पता है कि ऐसी चोट से कैसे निपटना है। उन्होंने मेरी चोट पर हल्दी लगाई और उनके इस घरेलु नुस्खे से मेरी चोट जल्द से जल्द ठीक भी हो गई थी।

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Prarthana Srivastava