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पुलवामा हमले के बाद अब अलगाववादियों पर गिरी गाज, हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा हटी

14 फ़रवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। गृह मंत्रालय के आदेश के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हुर्रियत और अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन, फजल हक कुरैशी, शब्बीर शाह की सरकारी सुरक्षा वापस ले ली है। इसके अलावा इन्हें मिल रही सारी सरकारी सुविधाएं छीन ली गई है। मीरवाइज उमर फारूक ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का चेयरमैन है।आपको बता दें, जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस आदेश में पाकिस्तान परस्त और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाम नहीं है। सरकार के इस आदेश के बाद पाकिस्तान और आतंक परस्त नेताओं को दी गई सारी सुरक्षा, सारी सरकारी सुविधाएं वापस ले ली गयी हैं। सरकार के इस निर्णय के बाद अब किसी भी अलगाववादी नेता को किसी भी वजह से सरकारी खर्चे पर किसी तरह की सुरक्षा या सुविधा मुहैया नहीं कराई जाएगी।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हुर्रियत के इन अलगाववादी नेताओं को राज्य सरकार ने लगभग 10 साल पहले सुरक्षा मुहैया कराई थी, जब यह नेता घाटी में कथित तौर पर आतंकियों के निशाने पर आए थे। भारत सरकार इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है।

 

आपको बता दें कि हमले के बाद कश्मीर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) से संपर्क रखने वालों को दी जा रही सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी। इससे पहले एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार के सुझाव पर ऐसे व्यक्तियों को मिली सुरक्षा की समीक्षा की गई, जिनपर आईएसआई के साथ संबंधों का शक है।

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Prarthana Srivastava