NationalTop News

पुलवामा में जान गंवाने वाले 42 सीआरपीएफ जवानों को नहीं मिलेगा शहीद का दर्जा..

पुलवामा। सीआरपीएफ बेहद शानदार बल है। जब बात देश की रक्षा की आती है तो ये बल अपने प्राणों की आहुति देने में कभी पीछे नहीं रहता। पुलवामा में हुए आतंकी हमले में भी 42 सीआरपीएफ जवानों ने देश के लिए अपनी जान दे दी लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सीआरपीएफ के जवानों को सेना के जवानों की ही तरह से शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता है।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) जिसमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी या अन्य पैरामिलिट्री फोर्स आते हैं उनके जवान अगर ड्यूटी के दौरान मारे जाते हैं तो उनको शहीद का दर्जा नहीं मिलता है। वहीं थलसेना, नौसेना या वायुसेना के जवान की ड्यूटी के दौरान जान जाती है तो उन्हें शहीद का दर्जा मिलता है। थलसेना, नौसेना या वायुसेना रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करता है तो वहीं पैरामिलिट्री सीएपीएफ गृह मंत्रालय के तहत काम करता है। सेना को बाहरी खतरों से देश की रक्षा में सीमा पर तैनात किया जाता है। वहीं सीएपीएफ को आंतरिक सुरक्षा के लिए निपटने के लिए देश में तैनात किया जाता है।

सीमा पर अगर गोली सेना के जवान और सीआरपीएफ के जवान को साथ लगती है तो सेना के जवान को शहीद का दर्जा मिलता है जबकि सीआरपीएफ के जवान को नहीं। पैरामिलिट्री का जवान अगर आतंकी या नक्सली हमले में मारा जाए तो इसे सिर्फ मौत माना जाता है। उसे शहीद का दर्जा नहीं मिलता है। सीएपीएफ के जवानों के साथ सिर्फ शहादत के दर्जे में ही भेदभाव नहीं किया जाता बल्कि पेंशन, इलाज, कैंटीन जैसी जो सुविधाएं सेना के जवानों को मिलती है पैरामिलिट्री के जवान उसके हकदार नहीं माने जाते।

शहीद जवान के परिवार वालों को राज्य सरकार में नौकरी में कोटा, शिक्षण संस्थान में उनके बच्चों के लिए सीटें आरक्षित होती हैं। वहीं पैरामिलिट्री के जवानों को ऐसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। इतना ही नहीं पैरामिलिट्री के जवानों को पेंशन की सुविधा भी नहीं मिलती है। जब से सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बंद हुई है, तब से सीएपीएफ के जवानों की भी पेंशन भी बंद कर दी गई। सेना इसके दायरे में नहीं है।

इस बाबत कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि सेना की ही तरह अन्य पैरामिलिट्री फोर्सेस के जवानों को भी शहीद का दर्जा दिया जाए लेकिन रक्षा मंत्रालय ने कोर्ट को जो बताया वो ओर भी हैरान करने वाला था। रक्षा मंत्रालय की ओर से दिल्‍ली हाई कोर्ट को बताया गया था कि ‘शहीद’ शब्‍द का प्रयोग तीनों सेनाओं के लिए नहीं किया जाता है। साल 2015 में गृह राज्‍य मंत्री किरण रिजीजु ने भी लोकसभा में कहा था कि शहीद शब्‍द की कोई परिभाषा नहीं है। सरकार की ओर से कहा गया था कि सेना, नौसेना और वायुसेना में शहीद शब्‍द का प्रयोग बैटल कैजुअलिटी और फिजिकल कैजुअलिटी के लिए होता है। शहीद शब्‍द का प्रयोग तीनों सेनाओं में प्रयोग नहीं किया गया है।

=>
=>
loading...
BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH