जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 42 सीआरपीएफ के जवान शहीद एंव 15 गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इससे सम्पूर्ण राष्ट्र शोक में डूबा एवं गुस्से से भरा हुआ है।
हर तरफ लोग विरोध प्रदर्शन व शोक संवेदनाओं के साथ उत्तरदायी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद एंव पाकिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं पर कड़ी कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं सरकार भी इनकी भवनाओं को ध्यान में रखते हुए एक्शन मोड में दिख रही है।
गृहमंत्री राजनाथ ने सीआरपीएफ के डी0जी0 के साथ कल ही लंभी बैठक कर मन्त्रणा की और तत्काल प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मीटिंग बुलाई गई। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोभाल, गृहमंत्री राजनाथ, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली मौजूद रहे।
सीसीएस की मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भी कड़ा रुख करते हुए आतंकी संगठन को चेतावनी देते हुए कहा कि उन्होंने बड़ी गलती कर दी। उन आतंकी संगठनों एवं उनके आकोओं को शहीद जवान के खून की एक-एक कतरे की कीमत चुकानी पड़ेगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की मीटिंग के बाद भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया है। साथ ही आतंकवाद का सफाया करे के लिए सेनाओं को खुली छूट दी है। बता दें कि राज्य में सेना के काफिले पर यह पहला हमला नहीं है।
इससे पहले भी इस प्रकार के हमले होते रहे हैं, लेकिन सुरक्षा एजंसियों के एलर्ट और सेना के जवानों के अदम्य साहस से एसे हमलों को नेस्तनाबूत किया जाता रहा है। देशद्रोहियों आतंकवादियों का यह हमला राष्ट्र पर हमला है।
पुलवामा में तालिबानी फिदायन मोड्यूल से किए गए इस हमले की जानकारी सुरक्षा एजंसियों ने पहले ही दे दिया था। बावजूद इसके इतनी बड़ी संख्या में पैरामिलेटिरी फोर्स को सड़क के रास्ते मूवमेंट कराना, सुरक्षा में चूक माना जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इसे चूक माना है। राज्य में सेना पर ऐसे छोटे-बड़े हमले होते रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे में राजमार्ग से फौजी काफिले को ले जाना मानवीय चूक ही कही जाएगी।
सेना द्वारा जारी ऑपरेशन–
ऑल आउट को विगत वर्षों में घाटी के कई इनामी व खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया था जिससे आतंक के आकाओं की कमर टूट गई थी। बहुत दिनों से यह आतंकवादी संगठन स्थानीय मददगारों व पत्थरबोजों से सहायता लेकर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। जैश-ए-मौहम्मद ने इस फिदायिन हमले की जिम्मेदारी ली है।
इसका सरगना अजहर मसूद अंतराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादियों को संरक्षण के लिए आइसोलेटेड हो चुके राष्ट्र पाकिस्तान में छिपा बैठा है। आपको बता दें कि यह वही आतंकवादी सरगना है जिसने भारतीय हवाई जहाज I.C.814 को हाईजैक किया था जो अफगानिस्तान से छूटा था।
उस वक्त चीन ने अपना वीटो पॉवर इस्तेमाल करके अंतराष्ट्रीय आतंकवादी नहीं घोषित होने दिया। कुल मिला कर यह जवान राष्ट्र की अमूल निधी थे। शहीद जवानों के सम्मान में पूरा देश संसद से लेकर सड़क तक एक साथ खड़ा होकर न्याय की मांग कर रहा है। आखिर दोषियों को सजा कब मिलेगी।