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अक्षय कुमार की 2.0 का ख़तरा हुआ सच साबित, नीदरलैंड में 5G टेस्टिंग से गयी 300 पक्षियों कि जान

आज हर कोई 4G नेटवर्क इस्तेमाल कर रहा है लेकिन लोगों में 5G नेटवर्क को लेकर उतसुक्ता बढ़ती ही जा रही है। भारत में इस नेटवर्क को जल्द से जल्द लॉन्च करने की भी तैयारी जोरों पर है। साथ ही इस नेटवर्क को देखते हुए कई स्मार्टफोन कंपनियां भी अपने 5G स्मार्टफोन को मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस (MWC) 2019 पेश करने वाली हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इस सर्विस को 2019 के अंत तक भारत में लॉन्च कर दिया जाएगा। इस सर्विस की मदद से इंटरनेट की स्पीड मौजूदा स्पीड से 50 गुना ज्यादा बढ़ जाएगी। लेकिन नीदरलैंड में 5G सर्विस की टेस्टिंग से जुड़ी एक ख़बर ने सबको चौंका दिया है।पक्षियों के लिए इसकी टेस्टिंग काल बनकर आई और करीब 300 बेजुबानों की जान चली गई।
इस नेटवर्क को लेकर जितने फायदे हैं उतना नुकसान भी है। आपको बता दें टेक्निकल युनिवर्सिटी ऑफ बर्लिन, ईटीएच ज्यूरिक और नॉरवे के सिनटेफ डिजिटल द्वारा जारी किए गए एक रिसर्च पेपर में 5G नेटवर्क पर यूजर्स की प्रिवेसी को लेकर चिंता जताई गई है। रिसर्चर्स की माने तो 5G नेटवर्क के आने के बाद हैकर्स यूजर्स के डेटा को आसानी से हैक कर सकते हैं। वहीं, हाल में ही नीदरलैंड के हेग शहर में 5G नेटवर्क के टेस्टिंग के दौरान अचानक लगभग 297 पक्षियों की जान चली गई थी।
 नीदरलैंड के शहर हेग के पार्क में कई पक्षियों की एक साथ अचानक मौत ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है। डच फूड एंड कंज्यूमर प्रोडक्ट सेफ्टी अथॉरिटी का कहना है कि मरे हुए पक्षियों की टेस्टिंग में जहर के कोई निशान नहीं मिले हैं लेकिन भारी मात्रा में आंतरिक रक्तस्राव हुआ जिसके चलते पक्षियों कि मौत हुई है। जांच-पड़ताल से पता चला है कि डच रेलवे स्टेशन पर 5G नेटवर्क की टेस्टिंग की गई थी जिसके तुरंत बाद ही आसपास के पक्षी पेड़ों से गिरने लगे। आसपास के तालाबों की बतखों ने अजीब व्यवहार प्रदर्शित किया। रेडिएशन से बचने के लिए वे बार-बार अपना सिर पानी में डुबोती नजर आईं। कुछ तो वहां से भाग गईं। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
हाल ही में रिलीज़ हुई अक्षय कुमार की फिल्म 2।0 में भी इस मुद्दे को उठाया गया था। इस फिल्म में अक्षय कुमार एक पक्षीराज की भूमिका में नज़र आए थे जो लोगों को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड रेडिएशन के प्रभाव से जागरूक करता है। फिल्म साफ संदेश देती है कि सेलफोन और टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन से पक्षी काल के गाल में समा रहे हैं। कई विशेषज्ञों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में जहां मोबाइल टॉवर की संख्या बहुत ज्यादा है, वहां इनसे निकलने वाले विकरण पक्षियों के लिए तनावपूर्ण स्थितियां पैदा करते हैं।
5G नेटवर्क की इस कमी को दूर करने के लिए रिसर्चर्स लगातार काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस सर्विस के चालू होने से पहले इस परेशानी को दूर कर लिया जाए। आपको बता दें 5G को मोबाइल इंटरनेट की पांचवीं पीढ़ी माना जा रहा है। अभी बाज़ार में 4G नेटवर्क का बोलबाला है लेकिन 5G नेटवर्क के आने के बाद बड़े से बड़े डेटा को आसानी से अपलोड किया जा सकेगा।
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Prarthana Srivastava