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हाथों में मेहंदी लगाकर इस खूबसूरत इंजीनियर ने किया दुल्हन की तरह श्रंगार, फिर बन गई साध्वी

नई दिल्ली। सांसारिक जीवन के सारे सुख और वैभव को छोड़कर सोमवार को पानीपत की 22 वर्षीय सिमरन जैन ने वैराग्य की राह पकड़ ली। जैन भगवती दीक्षा महोत्सव में गौतममुनिजी ने उन्हें नया नाम महासती श्री गौतमीजी दिया। इस अवसर पर केशलोचन सहित दीक्षा की विभिन्न विधियां हुई।

इससे पहले राजवाड़ा के पास से उनकी सवारी महावीर भवन से निकली। अलग-अलग रास्तों से होकर ये यात्रा रस्कोर्स स्थित बास्केटबाल काम्प्लेक्स पहुंची जहां सिमरन बग्घी पर सवार होकर सांसारिक वस्तुएं लुटाते हुए चल रहीं थीं। सिमरन ने बीएससी कम्प्यूटर साइंस से किया है। उनके घर में माता-पिता, एक बहन और दो भाई हैं। बहन मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं। दीक्षा के बाद सिमरन के पिता अशोक गौड़ ने कहा कि हमारी ओर से बेटियों को अपनी इच्छा के अनुरूप जीवन जीने की अनुमति है।

दीक्षा से पहले सिमरन लाल जोड़े में दुल्हन की तरह सजी नजर आ रही थीं। दीक्षा लेने से पहले उन्होंने अंतिम बार मनपसंद खाना खाया। दीक्षा लेकर साध्वी बनने के बाद उनका संयम का सफर शुरू हो गया है। दीक्षा लेने के बाद साध्वी गौतमी ने कहा कि वैराग्य की राह मुश्किल है। मैं दुनियाभर घूम चुकी हूं लेकिन सुकून नहीं मिला। फिर जब मैं गुरुजनों के सानिध्य में आई तब जाकर असली सुख की प्राप्ति हुई। मुझे चकाचौंथ भरी यह लाइफ रास नहीं आई। इसलिए मैंने वैराग्य लिया।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH