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विश्व पुस्तक मेला : अंतिम दिन पढ़ाकुओं की भारी भीड़ उमड़ी

 नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)| राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत की ओर से यहां के प्रगति मैदान में 5 से 13 जनवरी तक चले विश्व पुस्तक मेले का रविवार को समापन हो गया।

  छुट्टी का दिन होने के कारण पुस्तक प्रेमी बड़ी संख्या में मेले में पहुंचे। इस बार नौ लाख से अधिक लोग पुस्तक मेले में आए। इस वर्ष मेले में ‘दिव्यांगजनों की पठन आवश्यकताओं’ को प्रदर्शित करता हुआ विशेष रूप से निर्मित थीम मंडप दर्शकों के विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। थीम मंडप पर आयोजित कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के माध्यम से पाठकों ने थीम के विषय से संबंधित विभिन्न उपयोगी जानकारियां प्राप्त कीं।

पुस्तक मेले में एक ओर जहां बच्चों के लिए काफी कुछ खास था, वहीं दूसरी ओर युवाओं सहित सभी आयु-वर्ग के पाठकों की उत्साहपूर्वक भागीदारी देखी गई। इस भव्य पुस्तक मेले की सफलता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इस बार नौ लाख से अधिक लोग मेले में आए।

हिंदी किताबों के पबेलियन 12 व 12ए में सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक पढ़ाकू लोगों का हुजूम उमड़ता देखा गया। बाकी पबेलियनों में भी लगभग यही हाल रहा।

राजकमल प्रकाशन के स्टॉल जलसाघर में सुबह से ही पुस्तकप्रेमी अपने पसंद के पुस्तकों एवं लेखकों से मिलने भारी मात्रा में उपस्थित थे। इस बार मेले में जिस तरह छुट्टियों के दिन के अलावा कार्य के दिनों में भी पुस्तकप्रेमी बड़ी संख्या में उमड़े, यह देखकर कहा जा सकता है कि डिजिटल जमाने में भी किताबों की महत्ता कम नहीं हुई है।

राजकमल प्रकाशन, राधाकृष्ण प्रकाशन, लोकभारती प्रकाशन, वाणी प्रकाशन और उसी के सामने अंतिका प्रकाशन के स्टॉल पर काफी भीड़ देखी गई। प्रकाशकों के मुताबिक, विभिन्न विधाओं की पुस्तकों की जबरदस्त मांग रही। वाणी प्रकाशन ने अपने स्टॉल के बाहर विख्यात सहित्यकारों- नागार्जुन, अ™ोय, महाश्वेता देवी, मनोहर श्याम जोशी और केदारनाथ सिंह के कटआउट लगाए थे, जो सेल्फी पॉइंट बन गया।

चर्चित पुस्तकों में ‘रागदरबारी’, ‘मैला आँचल’, ‘तमस’, ‘जूठन’ ‘चित्रलेखा’, ‘काशी का अस्सी’ आदि किताबों की मांग रही। नई किताबों में ‘बेशरम’, ‘अपार खुशी का घराना’, ‘सहेला रे’, ‘जल थल मल’, ‘जनता स्टोर’, ‘ग्यारहवीं-अ के लड़के’, ‘पाजी नज्में’, ‘मंटो’ ‘शेखर : एक जीवनी’, ‘कुछ इश्क किया कुछ काम किया’, ‘इश्क कोई न्यूज नहीं’ जैसी किताबों के प्रति पाठकों का खास आकर्षण रहा।

कुछ और किताबें जैसे ‘धूप की मुंडेर’, ‘अस्थि का फूल’, ‘पानी को सब याद था’, ‘कौन देश के वासी’, ‘साये में धूप’, ‘उर्वशी’, ‘तुम मेरी जान हो रजिया बी’, ‘भारत और उसके विरोधाभास’, ‘संस्कृति के चार अध्याय’, ‘की रे हुकुम’ आदि किताबों के प्रति भी पाठकों की रुचि दिखी।

लेखक से मिलिए सत्र में राजकमल प्रकाशन के जलसाघर में लेखिका अरुं धति रॉय, तसलीमा नसरीन, अनुराधा बेनीवाल, अल्पना मिश्र, शाजी जमां, नवीन चौधरी, हिमांशु वाजपेयी, गीतांजलिश्री सरीखे लेखक-लेखिकाएं पुस्तक प्रेमियों से रूबरू हुए।

राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने 47वें विश्व पुस्तक मेले पर अपने विचार रखते हुए कहा, “किताब तो किताब है और किताब ही रहेगी, ई-बुक चलती किताब, ऑडियो बुक बोलती किताब, सिनेमा बुक दिखती किताब, हर किस्म की किताब फूल की पंखुड़ियां हैं, किताब होना इनका केंद्रीय तत्व है। मेरी हमेशा से यह सोच रही है जो इस विश्व पुस्तक मेले में भी ठीक साबित हुई। हमारे युवा पाठकों ने इसे साबित भी किया।”

अंतिम दिन राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर लेखिका सुजाता का कहानी संग्रह ‘एक बटा दो’, ‘त्रैमासिक आलोचना’, संजीव कुमार का कहानी संग्रह ‘इक्कीसवीं सदी’ एवं लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित रेनू अंशुल का कहानी संग्रह ‘कहना है कुछ’ का लोकार्पण हुआ।

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