नई दिल्ली। 15 साल मध्य प्रदेश पर राज करने के बाद आखिरकार शिवराज सिंह चौहान की विदाई हो गई। मध्य प्रदेश में मुकाबला तो कांटे का हुआ लेकिन यहां बाज़ी मार ले गई कांग्रेस। कांग्रेस के खाते में जहां 114 सीटें आईं वहीँ बीजेपी को 109 सीटों से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस को बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए थीं जिसकी भरपाई बसपा ने कर दी। राज्य में दो सीटें जीतने वाली बसपा ने कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया है।
खबर है कि यहां पर बीजेपी पर कांग्रेस कम नोटा ज्यादा भारी पड़ा है। इसी वजह से शायद बीजेपी लगातार दावा ठोक रही है कि मध्यप्रदेश की जनता ने उन्हें पूरी तरह नहीं नकारा है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में नोटा ने 22 सीटों पर चुनाव को प्रभावित किया है और इसकी चपेट में बीजेपी के चार मंत्री भी आए हैं। हालांकि बीजेपी और कांग्रेस को प्राप्त मतों में महज 1 फीसदी का अंतर रहा। वहीं 1.4 फीसदी यानी 5.4 लाख मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया।
इस बीच मध्य प्रदेश से एक और दिलचप्स आंकड़ा देखने को मिला। मध्य प्रदेश में बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले फिर भी वो चुनाव हार गई। बीजेपी को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 41.0 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को 40.9 फीसदी वोट। मध्य प्रदेश में बीजेपी को 1 करोड़ 56 लाख 42 हजार 980 वोट मिले जबकि कांग्रेस को 1 करोड़ 55 लाख 95 हजार 153 वोट। इस तरह ज्यादा वोट मिलने के बाद भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी नहीं बन पाई।