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अब 1000 ग्राम का नहीं रहा एक किलो, जानिए क्या होगा आप पर असर

नई दिल्ली। किलोग्राम मापने का तरीका बदल गया है। अब 1000 ग्राम का नहीं रहा एक किलो। अभी तक इसे प्लैटिनम-इरिडियम के अलॉय से बने जिस सिलिंडर से मापा जाता था, उसे रिटायर कर दिया गया है। एक ऐतिहासिक मतदान में 50 से अधिक देशों ने एक स्वर में अंतरराष्ट्रीय मापन प्रणाली में परिवर्तन को अनुमति दे दी है। शुक्रवार को हुए इस निर्णय से वजन मापने की इकाई किलोग्राम और मापन की दूसरी इकाईयों की नयी परिभाषाएं तय होने का मार्ग तैयार हो गया। इससे विभिन्न देशों के मध्य व्यापार और अन्य मानवीय कार्यों पर प्रभाव पड़ेगा।

वर्साय में एकत्र हुए ऐसे तमाम वैज्ञानिकों ने, जिन्होंने इसके लिए दशकों इंतजार किया था, नए फैसले पर तालियां बजाईं और खुशी जाहिर की, यहां तक कि कुछ प्रतिनिधियों की आंखों में आंसू भी आ गए। इस कदम को मानवता के मापन और गुणन के विश्व में क्रांति के रूप में देखा जा रहा है।

शुक्रवार को ही विद्युत मापन की इकाई ऐम्पियर, ताप मापने की इकाई कैल्विन और पदार्थ की मात्रा माप मोल की नई परिभाषाओं को भी अनुमोदन मिल गया है। वैश्विक रूप से स्वीकृत किलोग्राम की नई परिभाषा का बहुत बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। बीते एक सदी से अधिक समय से फ्रांस में कड़ी सुरक्षा में रखे प्लेटिनम-इरीडियम मिश्र धातु के बने एक सिलेंडर के द्रव्यमान को किलोग्राम की परिभाषा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसे ”ली ग्रांड के के नाम से भी जाना जाता है। यह साल 1889 से विश्व का एकमात्र वास्तविक किलोग्राम माना जाता रहा है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH