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नहीं रहे 1971 की जंग के असली सनी देओल, पाकिस्तानी सेना को अकेले चटाई थी धूल

चंडीगढ़। साल 1971 में हुए लोंगेवाला युद्ध के नायक ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का शनिवार को मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 78 वर्ष के थे। लोंगेवाला युद्ध के दौरान मेजर रहे चांदपुरी ने राजस्थान के लोंगेवाला की प्रसिद्ध लड़ाई में महज 120 जवानों के साथ, पाकिस्तानी टैंकों के हमले का डटकर सामना किया था और उन्हें खदेड़ दिया था। टैंकों के खिलाफ वीरता से खड़े होने और दुश्मन को पीछे हटने के लिए मजबूर करने के लिए उन्हें महावीर चक्र (एमवीसी) से सम्मानित किया गया।

आपको बता दें कि ब्रिगेडियर चांदपुरी और सेना के जवानों की जीत पर बाद में बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘बॉर्डर’ बनाई गई, जिसे 1997 में रिलीज किया गया। 4 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कुलदीप सिंह अपनी 120 सैनिकों की कंपनी के साथ लोंगेवाल में भारतीय सीमा की रक्षा कर रहे थे। इस दौरान पाकिस्तान की 51वीं इंफैंट्री ब्रिगेड के करीब 3000 सैनिकों ने उनकी पोस्ट पर हमला बोल दिया। यही नहीं पाकिस्तान को उसकी 22वीं आर्मर्ड रेजिमेंट भी मदद कर रही थी। फिल्म बॉर्डर में दिखाया गया है कि इस युद्ध में भारतीय सेना के कई जवान शहीद हो गए थे। लेकिन असल में कुलदीप सिंह को फिल्म में जितना बहादुर दिखाया गया है वह उससे भी कहीं ज्यादा थे। पाकिस्तानी सैनिक कुलदीप सिंह के सैनिकों को छू भी नहीं पाए और सिर्फ दो सैनिक घायल हुए थे।

साल 1997 में फिल्म बॉर्डर रिलीज होने के बाद मेजर जनरल आत्मा सिंह और एयर मार्शल एमएस बावा ने दावा किया कि कुलदीप सिंह चांदपुरी और अल्फा कंपनी पाकिस्तानी हमले के दौरान बॉर्डर पर मौजूद ही नहीं थी। यही नहीं उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने में सिर्फ एयरफोर्स का हाथ था। इस पर कुलदीप सिंह ने कहा कि लगता है फिल्म में हमें प्रमुखता से दिखाने पर उन्हें जलन हो रही है। अगर उनका दावा ठीक है दो पिछले दो दशक में किसी ने ऐसा दावा क्यों नहीं किया।

इस संबंध में ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह ने एक रुपये का मानहानि का सांकेतिक मुकदमा भी किया। उन्होंने कहा, मैंने यह मानहानि का मुकदमा सिर्फ यह बताने के लिए किया है कि मैं वहां बॉर्डर पर मौजूद था, और वह दोनों लोग वहां नहीं थे। मुझे उनका पैसा नहीं चाहिए, इसीलिए मैंने सिर्फ एक रुपये की छतिपूर्ति की मांग की है। मुझे सिर्फ न्याय चाहिए। साल 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय वह मेजर थे, और बाद में वह ब्रिगेडियर के पद तक गए और रिटायर होने के बाद चंड़ीगढ़ में रहने लगे थे।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH