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मप्र : भाजपा और कांग्रेस के लिए बागी बने मुसीबत

 भोपाल, 12 नवंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बागियों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

 कई दिग्गज अपनी ही पार्टी के खिलाफ मैदान में है और उनकी जीत के गणित को बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि दोनों मुख्य दलों के नेता बागियों को मनाने में लगे हैं।

राज्य में नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जो तस्वीर सामने आ रही है, उससे पता चला है कि भाजपा के दिग्गज नेता सरताज सिंह पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में है। वहीं भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष धीरज पटैरिया बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमारिया दमोह से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। भाजपा विधायक नीलम मिश्रा के पति अभय मिश्रा रीवा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

यही हाल कांग्रेस का भी है, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सत्यव्रत चुतुर्वेदी के बेटे नितिन बंटी चतुर्वेदी समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर राजनगर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं। पूर्व सांसद प्रेमचंद्र गुड्डू के बेटा अजित बोरासी भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही ऐसे दल हैं, जिनके बड़े नेताओं पर टिकट बांटने के आरोप लगे हैं। भाजपा के निवृत्तमान विधायक से लेकर कांग्रेस के इंदौर के वरिष्ठ नेता तक सामने आए है। उन्होंने बड़े नेताओं पर खुलकर टिकट बेचने के आरोप लगाए हैं, कई नेताओं की बातचीत के ऑडियो भी वायरल हो रहे हैं।

भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पूर्व मंत्री व सांसद रामकृष्ण कुसमारिया ने कहा, “पार्टी ने 75 साल पार कर चुके लोगों को टिकट न देने की बात कही थी, तब उन्होंने मान लिया था कि उन्हें भी उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा, लेकिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भोपाल में जिताऊ उम्मीदवार की बात की तो उनके दिल में चुनाव लड़ने की उम्मीद जाग गई, उसी के चलते तैयारी की। जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो बतौर निर्दलीय, उम्मीदवारी का पर्चा भर दिया।”

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने दावा किया है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के बागियों को मना लिया जाएगा।

भाजपा की पूर्व मंत्री कुसुम महदेले ने भाजपा के टिकट वितरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कैसा अन्याय है कि पवई से 12 हजार मतों से हारने वाले को पन्ना विधानसभा क्षेत्र से टिकट और पन्ना से 29 हजार वोटों से जीते प्रत्याशी का टिकट काट दिया गया, आखिर क्यों।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी खुद को सच्चा कांग्रेसी बताते हुए कहते हैं कि उनकी अंतिम सांस भी कांग्रेस की होगी। उन्होंने टिकट वितरण पर सवाल उठाए और कहा कि उनका बेटा 15 साल से पार्टी का टिकट मांग रहा था, लेकिन उसे उम्मीदवार नहीं बनाया गया, बेटा बालिग है और उसे अपने फैसले लेने का अधिकार है।

भाजपा की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि जिन लोगों ने नामांकन भरा है, वे पार्टी के ही कार्यकर्ता हैं। लिहाजा, उनसे संपर्क किया जा रहा है। पार्टी एक क्षेत्र से एक ही व्यक्ति को उम्मीदवार बना सकती है, लेकिन दावेदार कई हो सकते हैं। इसलिए पार्टी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है, सभी को समझाया जा रहा है। उम्मीद है कि पार्टी की बात को कार्यकर्ता मानेगा।

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