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एक ‘शैतान’ जो बना था ‘स्वयंभू’ भगवान!

पहले 16 अक्टूबर को, उसके बाद अगले ही दिन 17 अक्टूबर को दो अलग-अलग मामलों में स्वयं को पूर्ण संत से लेकर पूर्ण ब्रह्म और भगवान तक बताने वाले अरबों रुपये की बेशकीमती संपत्ति के मालिक और अपनी ‘माया’ के बल पर देशभर में हजारों लोगों के दिलोदिमाग पर छाए रहे तथाकथित संत रामपाल सहित कुछ अन्य व्यक्तियों को भी 2014 में उसके आश्रम में बंधक बनाए गए कुछ व्यक्तियों की मौत के मामले में हिसार की विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुना दी है।

उसके खिलाफ देशद्रोह व हत्या के दो मामलों सहित कई मामले दर्ज हैं, जिन पर अदालत का फैसला आना बाकी है। वैसे सही मायनों में हरियाणा के रोहतक जिले के करौंथा गांव में 4 एकड़ में अत्याधुनिक तकनीकों और चौंका देने वाली शैली से निर्मित ‘सतलोक आश्रम’ के मालिक रामपाल को लेकर विवादों की शुरुआत 2006 में उसी वक्त हो गई थी, जब उसके सतलोक आश्रम में जमीन को लेकर विवाद हुआ था और उस विवाद में एक व्यक्ति की हत्या हुई थी, जिसके लिए रामपाल के विरुद्ध मुकदमा चला था। तब कानून के शिकंजे में फंसने के बाद से इस स्वयंभू संत की एक-एक कर ऐसी कलई खुली थी कि जिस किसी ने भी इसकी लीलाओं और इसकी ‘मायानगरी’ की असलियत के बारे में जाना, दांतों तले उंगली दबा ली थी।

वर्ष 2006 में स्वामी दयानंद को लेकर रामपाल द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयानों के बाद आर्य समाज समर्थकों तथा रामपाल के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें एक महिला की मौत हो गई थी। कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस द्वारा रामपाल और उसके 37 अनुयायियों को गिरफ्तार किया गया था। करीब 22 माह तक जेल की सलाखों के पीछे रहने के बाद रामपाल को 30 अप्रैल, 2008 को जेल से रिहा कर दिया गया था।

नवंबर, 2014 में एक बार फिर बड़ा बवाल मचा, जब पुलिस ने रामपाल के सतलोक आश्रम में छापेमारी का प्रयास किया। तब रामपाल को गिरफ्तारी से बचाने से लिए हर तरह के हथकंडों का इस्तेमाल किया गया था। उस समय रामपाल के समर्थकों और कमांडो ने न केवल फायरिंग कर पुलिस को आश्रम के बाहर ही रोक दिया था, बल्कि पुलिस बल पर बहुत बड़ी संख्या में पेट्रोल बम भी फेंके गए थे। उस वक्त आश्रम के भीतर मौजूद सैकड़ों लोगों को अंदर ही बंधक बनाकर रखा गया, जिनमें से पांच महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई थी।

बड़ी मशक्कत के बाद पुलिस 19 नवंबर, 2014 को रामपाल को सरेंडर करने के लिए मजबूर करने में सफल हो सकी थी। उस दौरान हुई मौतों के मामले में ही अदालत द्वारा अब रामपाल को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

खुद को भगवान बताने वाला रामपाल इस समय जेल की हवा खा रहा है, लेकिन यह देखकर बड़ी हैरानी होती है कि हमारा समाज अंधविश्वासों के शिकंजे में इस कदर जकड़ा है कि ‘भगवान’ का चोला पहने ‘शैतान’ रूपी रामपाल की न्यायिक हिरासत के दौरान एक-एक कर सारी सच्चाई सामने आने के बाद भी उसे जब भी पेशी के लिए कोर्ट लाया जाता था, वहां उसके ‘श्रद्धालुओं’ का हुजूम इकट्ठा हो जाता है। कुछ लोग कोर्ट परिसर में ही रामपाल की एक झलक पाकर खुद को धन्य महसूस करते थे और पुलिस को इन अंधविश्वासी श्रद्धालुओं से जूझने के लिए हर बार खासी मशक्कत करनी पड़ती थी।

रामपाल संत में भेष में छिपा ऐसा शैतान था, जिसने अपने आश्रम के बाहरी गेट के पास बड़ी मात्रा में तेजाब से भरे टीन तथा लोहे की बड़ी-बड़ी पिचकारियां इसलिए जमा कर रखी थी, ताकि ग्रामीणों के आश्रम में घुसने की स्थिति में उन पर वो तेजाब की बारिश करवा सके।

प्रवचन के लिए खासतौर से बनाया गया लिफ्ट चालित आलीशान बुलेटप्रूफ मंच और सिंहासन, अरकंडीशंड शयनकक्ष, आलीशान स्नानघर, इटालियन स्टाइल वाले बाथरूम, अत्याधुनिक किचन, फाइव स्टार होटलों जैसे अत्याधुनिक एसी कमरे, शरीर की फिटनेस के लिए विद्युतचालित आधुनिक फिटनेस मशीनें, शाही अंदाज के कालीन, गद्दे, परदे, चादरें, विदेशी खाद्य पदार्थों व फास्ट फूड सामग्री का भंडार!

ये सब देखकर यह आइने की तरह साफ हो गया था कि लोगों को मोह-माया से दूर रहने का उपदेश देने वाला रामपाल खुद भौतिकता और मोह-माया के बंधन में किस कदर जकड़ा था। आश्रम के साथ-साथ वह पूना में ‘विजय लॉजिस्टिक’ नामक एक ट्रांसपोर्ट कंपनी भी चलाता था और खुद पूरे 400 कैंटर का मालिक भी था।

सतलोक आश्रम से फुर्सत मिलते ही वह हवाईजहाज से पुणे अपना व्यापार संभालने रवाना हो जाया करता था। रामपाल की प्रमुख संपत्तियों में वर्ष 2006 के संपत्ति मूल्यों के हिसाब से चार एकड़ में बना हरियाणा के रोहतक जिले में करौथा स्थित साढ़े चार करोड़ रुपये का सतलोक आश्रम, हिसार के बरवाला में डेढ़ एकड़ में फैला डेढ़ करोड़ की कीमत का आश्रम, जींद का 22 लाख रुपये का आश्रम, रोहिणी में लाखों की कीमत का एक प्लॉट तथा पुणे में ट्रांसपोर्ट कंपनी तथा 400 कैंटर शामिल थे।

जब से हरियाणा में झज्जर-रोहतक मार्ग पर करौंथा में संत रामपाल का आश्रम बना था, तभी से रामपाल तथा उनके अनुयायियों का आसपास के ग्रामीणों के साथ विवाद चलता रहा और इसी विवाद के चलते कई बार रामपाल के अनुयायी ग्रामवासियों पर जानलेवा हमले भी कर चुके थे, लेकिन रामपाल की ऊंची पहुंच के कारण उसके अनुयायियों का कोई बाल भी बांका नहीं कर पाता था। उसकी पहुंच कितनी ऊपर तक थी, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि बड़े-बड़े आईएएस, आईपीएस अधिकारी व राजनेता उसके दरबार में सजदा करने आते थे।

दोनों पक्षों के बीच विरोध बढ़ते-बढ़ते इतना गहरा गया था कि कई बार पुलिस को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था, लेकिन रामपाल के चेले पुलिस पार्टी पर हमला करने से भी नहीं चूकते थे। गांव वालों के साथ मारपीट करने और उनके खेतों पर जबरन कब्जा करने तथा आश्रम की आड़ में रामपाल और उसके चेलों द्वारा चलाई जा रही अनैतिक गतिविधियों पर जब ग्रामीणों ने सख्त ऐतराज जताया तो रामपाल के चेलों ने रोहतक-झज्जर हाईवे जाम कर दिया था और वहां से गुजरने वाले लोगों व वाहनों को अपना निशाना बनाया था। जाम खुलवाने के लिए गए पुलिस बल पर भी रामपाल के अनुयायियों ने धावा बोलने में संकोच नहीं किया।

याद रहे कि वर्ष 2006 में उस वक्त यह हाईवे करीब 3-4 दिनों तक पूर्ण रूप से बंद रहा था और प्रशासन लाख कोशिशों के बाद भी जाम खुलवाने में सफल नहीं हो पाया था। तीन दिन बाद जब आर्य प्रतिनिधि सभा के सदस्यों ने गांव वालों के साथ मिलकर आश्रम को चारों ओर से घेर लिया था, तब खुद को भगवान बताने वाले रामपाल ने अपने अनुयायियों को ग्रामीणों पर गोलियां चलाने के आदेश दे दिए थे।

यह सनसनीखेज खुलासा रामपाल ने ही पुलिस हिरासत के दौरान किया था। इसी गोलीबारी के दौरान एक ग्रामीण सोनू की मौत हो गई थी तथा कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिसके बाद रामपाल उसके और चेलों पर कड़ी मशक्कत के बाद काबू पाते हुए रामपाल पर धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया था और उसके अनेक चेलों पर धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

रामपाल पर सतलोक आश्रम की फर्जी रजिस्ट्री कराने के मामले में ‘420’ का मामला भी दर्ज है। न्यायिक हिरासत के दौरान तब रामपाल की मायानगरी की जो तस्वीरें सामने आई थीं, उससे आमजन तो क्या, आला अधिकारी तक चौंके बिना नहीं रह सके थे कि कैसे गांवों में खेतों के बीच भूल-भुलैया और भ्रमित कर देने वाली शैली और अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए तमाम ऐशो-आराम की सुविधाओं से लैस आलीशान विशालकाय आश्रम बनाया गया था।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

 

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