नई दिल्ली। बदलते वक्त के साथ लोगों की खान-पान की आदतें भी बदल रहीं हैं। लोग दाल रोटी से ज्यादा फास्ट फूड को पसंद करते हैं। इसके अलावा लोग टेस्ट चेंज करने के लिए भी फास्ट फूड को प्रिफर करते हैं। फास्ट फूड के इस क्रेज को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाली हमारे जेनेरेशन की हेल्थ पर खतरा मंडरा रहा है। विश्व मोटापा संघ (WOF) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 तक दुनिया में कुल 2.7 अरब वयस्क मोटापे के शिकार होंगे। वहीं भारत में भी हालात बदतर होती जा रही है। इंडिया स्पेंड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के आधे से अधिक शहरी वयस्कों का वजन मानकों से अधिक हैं। अनिमायित खान-पान, फास्ट फ़ूड का ज्यादा सेवन मोटापे की वजह बनता है।
क्या आपको पता है हम जो वजन घटाते हैं उसका फैट बर्न होकर कहां जाता है। कोई आपसे से पूछे तो आप कहेंगे कि जो चर्बी हम घटाते हैं, वह ऊर्जा में बदल जाती है। लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा होना संभव नहीं, क्योंकि इससे पदार्थ के संरक्षण के नियम का उल्लंघन होता है। कुछ लोगों ने कहा कि चर्बी, मांसपेशियों में बदल जाती है। वहीं कुछ का कहना था कि जो चर्बी हम घटाते हैं वो मल के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकल जाती है।
हमारे समाज में वजन घटाने और पाचन तंत्र को लेकर वैसे ही तमाम तरह की धारणाएं है। इसलिए इस बारे में कोई सटीक उत्तर जब तक न मिले आपको नहीं मानना चाहिए। इसके बारे में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध में प्रोफेसर एजे ब्राउन की माने तो शरीर का फैट कार्बन डाइ ऑक्साइड और पानी में बदल जाता है। कार्बन डाइ ऑक्साइड जो हम सांस छोड़ते हैं उसमें मिलकर बाहर निकल जाता है। फैट से पानी निकलने वाला शरीर की तमाम क्रियाओं से होते हुए पेशाब से बाहर निकल जाता है। एक्सपर्ट्स की माने तो इंसान जो कुछ खाता है उह कार्बन डाइ ऑक्साइड और पानी के रूम में टूटता है। कार्बन डाइ ऑक्साइड सांसों के द्वारा बाहर निकल जाता है तो पानी शरीर की तमाम क्रियाओं में भाग लेने के बाद मल-मूत्र के रूप में बाहर निकल जाता है।