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ब्रेन डेड मरीज के अंगदान से 3 को मिला नया जीवन

नई दिल्ली, 20 सितम्बर (आईएएनएस)| अपोलो अस्पताल में ब्रेन डेड 65 वर्षीय वाई.के. भल्ला के अंगदान से तीन लोगों को नया जीवन मिला।

डाक्टरों के सलाह-मशविरे के बाद भल्ला के परिजनों ने अंगदान का फैसला किया। वाय. के. भल्ला बाइलेटरल सेरेब्रल इन्फरेक्शन से पीड़ित थे। यह ऐसी स्थिति है जिसमें दिमाग को खून पहुंचाने वाली धमनियों/ आर्टरीज के ब्लॉक हो जाने के कारण दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। मरीज को जब 16 सितम्बर को इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया, उनकी हालत बहुत खराब थी। शाम छह बजे उनका एप्निया टेस्ट किया गया। इसके बाद 19 सितम्बर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के न्यूरोलोजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ पीएन रंजन ने कहा, जब आप अपने प्रियजनों को खो देते हैं, उस समय आप इस तरह के मुश्किल फैसले लेने की अवस्था में नहीं होते। यह परिवार भी गहरे दुख में था लेकिन मेरी टीम के सहयोग से हम परिवार को इस नेक काम के लिए तैयार करने में सफल रहे।

मृतक की पत्नी नैना भल्ला ने कहा, जब डॉक्टरों ने मेरे पति को ब्रेन डेड घोषित किया तो हम पूरी तरह से टूट चुके थे। हम किसी और चीज के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, लेकिन डॉक्टरों ने हमें बताया कि मेरे पति के स्वस्थ अंग कई और लोगों को नया जीवन दे सकते हैं। हमारे लिए इस वास्तविकता को स्वीकारना थोड़ा मुश्किल था, लेकिन बाद में हमने उनके अंगदान का फैसला ले लिया। हालांकि आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन दूसरे लोगों में वे आज भी जीवित हैं।

वाय. के. भल्ला का अंगदान इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों की मदद से ही संभव हो सका। भल्ला का परिवार जरूरतमंद मरीजों को उनके अंग देने के लिए तैयार हो गया- जिसके बाद 19 सितम्बर को उनके दोनों गुर्दे (किडनी) और लिवर दान में दे दिए गए।

एक लिवर एवं एक किडनी का ट्रांसप्लान्ट इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ही किया गया, जबकि दूसरी किडनी को नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लान्ट ऑगेर्नाइजेशन के द्वारा दिल्ली के एक अन्य निजी अस्पताल को भेज दिया गया।

इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में एक किडनी दिल्ली की 41 वर्षीय महिला में ट्रांसप्लान्ट की गई। यह महिला क्रोनिक किडनी फेलियर से पीड़ित थी और पिछले 18 सालों से डायलिसिस पर थी। उसके परिवार में कोई सही डोनर न मिलने के कारण वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रही थी। लिवर ट्रांसप्लांट नोएडा के एक 48 वर्षीय पुरुष में किया गया। यह मरीज पिछले चार सालों से लिवर सिरहोसिस से पीड़ित था।

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