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सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त तेंदुए का मल और पेशाब साथ ले गए थे जवान, जानें क्यों

नई दिल्ली। साल 2016 में भारतीय सेना के जवानों ने जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले का बदला लेते हुए पाकिस्तानी सीमा में 15 किलोमीटर तक घुसकर आतंकियों के शिविर तबाह कर दिए थे। इस सफल ऑपरेशन में जवानों ने आतंकियों के 7 शिविरों को ध्वस्त कर दिया था। साथ ही 38 आतंकियों को भी मार गिराया था।

अब सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ी एक दिलचस्प बात सामने आई है। सर्जिकल स्ट्राइक में योगदान के लिए पूर्व नगरोटा कॉर्प्स कमांडर ले. जनरल राजेंद्र निंबोरकर को सम्मानित करने के लिए पुणे में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल राजेंद्र ने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक के समय हमें सबसे ज्यादा चिंता इस बात की थी कि कहीं हमारे जवानों को देखकर या उनकी आहट पाकर कुत्ते भौंकने न लगें। इसके लिए जवानों ने एक कमाल की तरकीब अपनाई थी।

उन्होंने बताया कि जवानों ने पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर जाने के बाद कुत्तों को शांत रखने के लिए तेंदुए के मल-मूत्र का इस्तेमाल किया था। उन्होंने बताया, ‘सेक्टर में रहते हुए हमने देखा कि तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमला करते हैं। खुद को हमले से बचाने के लिए कुत्ते रात को बस्ती में ही रहते हैं।’

उन्होंने आगे बताया, ‘रणनीति बनाते वक्त हमको पता था कि रास्ते के गांवों से निकलते वक्त कुत्ते भौंकना शुरू कर सकते हैं और हमला कर सकते हैं। इससे निपटने के लिए हमारी टुकड़ियां तेंदुए का मल-मूत्र लेकर गईं। उसे गांव के बाहर छिड़क दिया जाता था।’ उन्होंने बताया कि ये तरकीब काम कर गई।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH