लखनऊ। रक्षाबंधन के त्यौहार को देखते हुए बाज़ारों में अभी से ही रौनक छा गई हैं। राखियों की दुकान बाज़ारों में सज़ गई है। अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए हर बहन इस दिन का इंतजार करती है। इस दिन एक ओर जहां भाई-बहन के प्रति अपने दायित्व निभाने का वचन बहन को देता है, तो दूसरी ओर बहन भी भाई की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। इस दिन भाई की कलाई पर जो राखी बहन बांधती है वह सिर्फ रेशम की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन और रक्षा पोटली जैसी शक्ति भी उस साधारण से नजर आने वाले धागे में निहित होती है। यूं तो रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन यूपी का एक गांव ऐसा भी है जहां रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता।
गाजियाबाद के मुरादनगर तहसील के सुरेना गांव में सदियों से रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि 12वीं शाताब्दी में रक्षाबंधन के त्योहार वाले दिन मोहम्मद गोरी ने इस गांव पर हमला किया था। इस दौरान उसे गांव में जो मिला उसने उसकी हत्या कर दी। लेकिन गांव की एक महिला किसी काम से गांव के बाहर गई हुई थी। इसलिए उसकी जान बच गई। महिला के बेटे उसे गांव में वापस लाये और गनव को फिर से बसाया।
कई सौ साल गुजर जाने के बाद एक बार फिर गांववालों ने रक्षाबंधन का त्योहार मनाया। लेकिन इस बार गांव का एक बच्चा इसी दिन विकलांग हो गया। इसके बाद से गांव वालों ने रक्षाबंधन को शापित मानकर इसे मनाना ही बंद कर दिया। वो दिन था और आज का दिन है। इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता।