नई दिल्ली। आज अटल जी हमारे बीच नहीं हैं। लखनऊ से अटल को खास लगाव था। वो लखनऊ ही है जहां से अटल जी लगातार पांच बार सांसद रहे। ऐसे में हर तरफ सिर्फ अटल से जुड़े किस्से सुनाए जा रहे हैं। ऐसे में एक किस्सा वो भी है जब 1957 का चुनाव हारने के बाद अटल अपने विरोधी के घर उनकी जीत का लड्डू खाने जा पहुंचे थे।
राष्ट्रसेवा के लिए अटल जी को वर्ष 1992 में राष्ट्रपति के हाथों पद्म विभूषण सम्मान मिला और वर्ष 1994 में वाजपेयी लोकमान्य तिलक पुरस्कार और सर्वोत्तम सांसद के लिए भारतरत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत पुरस्कार जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित हुए।
वर्ष 2015 में अटल बिहारी वाजपेयी को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाज़ा गया। कई दशकों तक भारतीय राजनैतिक पटल पर छाए रहने के बाद वर्ष 2007 से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण मौजूदा समय में वो सक्रिय राजनीति से नदारद रहे।
वर्ष 1957 का चुनाव था। अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से चुनाव लड़ रहे थे। उनके सामने थे कांग्रेस से पुलिन बिहारी बनर्जी ‘दादा’। बनर्जी चुनाव जीते और अटलजी हार गए। जनसंघ के कार्यालय पर मौजूद लोग हार-जीत का विश्लेषण कर रहे थे, अटल जी उठे और कुछ लोगों के साथ जा पहुंचे बनर्जी दादा के घर।
अटल को घर के सामने देख दादा के घर मौजूद लोग हड़बड़ा गए। अटल जी बोले, “दादा जीत की बधाई। चुनाव में तो बहुत कंजूसी की लेकिन अब न करो, कुछ लड्डू-वड्डू तो खिलाओ।”
आज अटल जी के जाने से पूरा देश और खासकर लखनऊ गहरे शोक में है। न सिर्फ लखनऊ बल्कि पूरा देश अटल जी जैसे जननेता और कवि को कभी भुला नहीं पाएगा।