नई दिल्ली। 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु हासिल करने के बाद जब कल दिल्ली के AIIMS अस्पताल में उनका देहांत हुआ। 125 करोड़ लोग उनकी सलामती के लिए धर्म, जाति और राजनीतिक पार्टियों की सीमाओं को भूलकर शोक में चले गए।
ये अटल का ही करिश्मा है जो 1977 से शुरू हुआ और एक राजनीतिक युग का खात्मा हुआ। राजनीतिक सेवा का व्रत लेने के कारण वो आजीवन कुंवारे रहे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत माता के एक ऐसे सपूत हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता से पहले और बाद में भी अपना जीवन देश और देशवासियों के कल्याण के लिए जिया।
भारतीय स्वतंत्रता में भी अटल जी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। वर्ष 1942 में हुए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में वो जेल भी गए। वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य भी रहे, उन्होंने सन् 1951 में गठित राजनैतिक दल ‘भारतीय जनसंघ’ के संस्थापक सदस्य के तौर पर भी काम किया।