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आजादी के बाद मोहम्मद अली जिन्ना का वो फैसला जिसे सुनकर हिन्दुओं को गर्व होगा

भारत पकिस्तान

लखनऊ।  साल 1947 जब विश्व के पटल पर भारत से कट के एक नए देश का जन्म हुआ जिसका नाम पाकिस्तान था। 14 अगस्त की आधी रात लाहौर से पकिस्तान का राष्ट्रगान प्रसारित हुआ। अगर मै आपसे कहूँ इस राष्ट्रगान को लाहौर में रहने वाले एक हिंदू शायर ने लिखा था तो आपको इस बात पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होगा।

यहां देखें पकिस्तान का पहला राष्ट्रगान

पकिस्तान में जब ये गाना प्रसारित हुआ तब वहां के सियासत में एक भूचाल सा आ गया, क्योंकि इस राष्ट्रगान को एक हिन्दू शायर के द्वारा लिखा गया था। लेकिन उस समय पकिस्तान के कायदे आजम जिन्ना के सामने इस बात को कहना अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा था। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके ही कहने पर हिन्दू शायर के द्वारा पाकिस्तान का राष्ट्रगान लिखा गया था।

जिन्ना के कहने पर हिंदू शायर की हुई तलाश

आठ अगस्त 1947 को अचानक उन्हें ख़्याल आया कि पाकिस्तान का एक राष्ट्रगान भी होना चाहिए। तुरंत अफसरों को बुलाया गया और उनको हुकम दिया कि अगले 24 घंटों में पाकिस्तान के उम्दा हिंदू शायर की तलाश की जाए, जो पाकिस्तान का राष्ट्रगान लिखे।

इस वजह से जिन्ना चाहते थे ऐसा

गौरतलब है कि, पकिस्तान के कायदे आजम ने अपने धर्म के लिए एक नए देश की मांग की थी। लेकिन वह दुनिया को दिखाना चाहते थे कि वह बेहद सेक्युलर हैं। इसलिए उन्होंने ऐसा तय किया राष्ट्रगान को एक हिंदू लेखक ही लिखेगा।

जानिए उस हिन्दू कवी के बारे में जिसने वो राष्ट्रगान लिखा

जिस शायर ने पकिस्तान का पहला राष्ट्रगान लिखा उनका नाम जगन नाथ आजाद था। उर्दू में उनके आसपास कई मुस्लिम विद्वान भी नहीं ठहरते। बंटवारे के बाद उन्होंने भारत के बजाय पकिस्तान में रहना ही बेहतर समझा।
उन्हें पांच दिनों का समय दिया गया फिर उनकी कलम चली और उन्होंने एक ऐसा तराना लिख दिया, जो पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान बना। उसे 14 अगस्त की आधी रात को रेडियो लाहौर से प्रसारित किया गया।

जिन्ना के मरने के बाद पकिस्तान का राष्ट्रगान बदल दिया गया और जगन नाथ आजाद का वो तराना सिर्फ 18 महीनों तक ही पकिस्तान का राष्ट्रगान रहा। शीर्ष मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम शायरों ने इसका इसलिए विरोध किया क्योंकि ये तराना एक हिन्दू शायर के द्वारा लिखा गया था। जिसके बाद इसे हटा दिया गया।

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Manish Srivastava