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ट्रिपल तलाक बिल : संशोधन विधेयक को मोदी कैबिनेट ने दी मंज़ूरी

साभार - इंटरनेट

तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत संबंधी बिल पर विपक्ष की मांग मानते हुए कैबिनेट ने संशोधन की मंजूरी दे दी है। अब संशोधित बिल में पीड़िता या उसके खून के रिश्ते के किसी शख्स को एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक एक गैर-ज़मानती अपराध बना रहेगा। हालांकि मजिस्ट्रेट के पास दोषी को ज़मानत देने का अधिकार होगा।

रविशंकर प्रसाद ने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से नए बिल को समर्थन देने की अपील भी की। हालांकि एक साथ तीन तलाक गैर जमानती अपराध की श्रेणी में ही रहेगा। बिल में आरोपी को अपराध साबित हो जाने के बाद तीन साल की सजा का प्रावधान है।

सरकार ने यह संशोधन मान कर तीन तलाक पर विपक्ष के विरोधी तेवर की हवा निकाल दी है। अब इस बिल को राज्यसभा में पास होने के बाद एक बार फिर लोकसभा की हरी झंडी लेनी होगी। सूत्रों के मुताबिक शीतकालीन सत्र में इस बिल को संसद की मंजूरी मिलने की पूरी उम्मीद है।

बिल के मौजूदा प्रावधान के मुताबिक एक बार में तीन तलाक बोलकर वैवाहिक बंधन से अलग की जाने वाली मुस्लिम महिला अपने और नाबालिग बच्चे के लिए मुआवजे की हकदार होंगी। साथ ही नाबालिग बच्चे को रखने का हक भी महिला का होगा। हालांकि इसपर अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट करेगा।

इस काननू के तहत पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है और मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे। मसौदा कानून के तहत, किसी भी तरह का तीन तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी होगा।

मसौदा कानून के अनुसार, एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य होगा और ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है। यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध होगा।

 

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