नई दिल्ली। जब भी बात एक लड़का और लड़की की दोस्ती पर आती है तो आपने लोगों के मुंह से कई बार कहते हुए सुना होगा और वो ये कि ‘एक लड़का और लड़की कभी भी दोस्त नहीं हो सकते’। हर किसी की लाइफ में कुछ दोस्त ऐसे होते है जिन्हें वो अपने आखिरी दम तक छोड़ना नहीं चाहता लेकिन अगर आप उनसे दोस्ती का मतलब पूछ लेंगे तो शायदी उनकी जुंबा पे वक्त वहीं थम जाएगा क्योंकि वो कहते हैं ना..’दोस्ती की कोई सीमा नहीं होती’।
भले ही हम लोग 21वीं सदी में जी रहे हों लेकिन समाज का नजरिया आज भी लड़के और लड़की की दोस्ती को लेकर वही है या यूं कहें कि वो बदलना ही नहीं चाहते। एक साथ हंसना बोलना, साथ आना और जाना ये देखकर अक्सर लोग कहते हैं कि ‘वो दोस्त नहीं बल्कि उनकी दोस्ती में कुछ काला है’ और उनकी यही सोच उनकी दोस्ती को रिश्ते में बंधने को मजबूर कर देती है।
‘प्यार दोस्ती है’..फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ का ये डॉयलाग तो आपने कई बार सुना ही होगा। बॉलीवुड में कई सारी फिल्में आईं और गई। लेकिन ज्यादातर फिल्मों में एक बात जो कॉमन थीं वो ये कि फिल्म की शुरुआत तो दोस्ती से होती है लेकिन आखिर तक फिल्म का अंत शादी पर ही होता है। जिसने लोगों के दिमाग पर ऐसा गहरा असर डाला है कि लोग दोस्ती को प्यार के तराजू में तौलना नहीं भूलते।
दोस्तों का एक दूजे के घर आना जाना और परिवार के साथ अच्छी दोस्ती होना कभी-कभी दोस्ती पर भारी पड़ जाता है। शादी के लिए लड़का और लड़की दोनों के लिए पार्टनर ढूढना या यूं कहें कि अपने बच्चे की शादी के लिए उसका लाइफ पार्टनर ढूढने की जद्दोहद में माता पिता अक्सर आपके ही दोस्त में आपका लाइफ पार्टनर ढूढने लगते हैं। जिस वजह से दोस्ती का रिश्ते को लोग ये कहकर शादी में तब्दील करने की बात करते हैं ‘अच्छा तो है इसमें बुराई क्या है’।