नई दिल्ली। देश के सभी लोग दो दिन बाद फ्रेंडशिप-डे मनाएंगे। इस दिन पर सभी लोग अपने अच्छे-बुरे दोस्तों के साथ सिर्फ अच्छी यादों को संजोते हैं। अगस्त के पहले रविवार को मनाए जाने वाले फ्रेंडशिप-डे पर जहां एक तरफ़ सब दोस्ती की कसमें खाते हैं वहीं दूसरी तरफ़ देश की ये जोड़ियां इस दिन को मनहूस मानती हैं। आइए जानते हैं सत्ता से लेकर खेल तक की उन जोड़ियों को टूट गईं और फ्रेंडशिप-डे से दूर मनाती हैं।
नीतीश कुमार और लालू यादव:
नीतीश और लालू ने जब मिलकर महागठबंधन बनाया तो लगा ये साथ लंबा चलेगा। बिहार में दोनों ने मिलकर सरकार भी बनाई लेकिन इस महागठबंधन में ऐसी टूट हुई कि नीतीश एनडीए की गोद में जाकर बैठ गए और तिलमिलाए लालू उन्हें पलटूराम कहकर जमकर लानत भेजने लगे।
सुनील ग्रोवर और कपिल शर्मा:
एक प्लेन में हुए झगड़े के बाद कपिल शर्मा और सुनील ग्रोवर की दोस्ती टूटी तो कपिल की कॉमेडी के रंग फीके हो गए। शो की टीआरपी भी गिरने लगी। दोनों को फिर से एक करने की तमाम कोशिशें हुईं कामयाब नहीं हो पाईं। दोस्ती टूटने का ख़ामियाज़ा कपिल और सुनील दोनों भुगत रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल और कपिल मिश्रा:
कभी साथ मिलकर भाजपा और कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले अरविंद केजरीवाल और कपिल मिश्रा अब एक-दूसरे के पक्के दुश्मन बने हुए हैं। कपिल मिश्रा को केजरीवाल ने बर्खास्त कर दिया तो कपिल मिश्रा भी केजरीवाल को जेल भेजने की कसमें खाने लगे।
मुलायम सिंह और अमर सिंह:
समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव को गद्दी से हटाकर जब उसपर उनके बेटे और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव काबिज़ हुए तो इसका सबसे बड़ा ख़मियाज़ा अमर सिंह जैसे नेताओं को भुगतना पड़ा। अमर सिंह अब पार्टी से बाहर कर दिए गए हैं और अपनी बर्खास्तगी पर मुलायम सिंह यादव की चुप्पी से नाराज़ हैं। अमर सिंह ने मुलायम सिंह यादव की तुलना पुत्र-मोह में जकड़े हुए धृतराष्ट्र तक से की थी।
विराट कोहली और अनिल कुंबले:
अनिल कुंबले को जब एक साल के लिए टीम इंडिया का कोच बनाया गया तो उनके स्वागत में ट्वीट करने वालों में सबसे आगे विराट कोहली ही थे। साल पूरा भी नहीं हुआ और कोहली को अपने ट्वीट्स डिलीट करने पड़ गए क्योंकि कोहली और कुंबले दोनों के बीच कुछ तल्ख़ी आ गई थी। हालत ये हुई कि कुंबले अपना अलग रास्ता पकड़ चुके हैं और रवि शास्त्री टीम इंडिया के कोच बन गए हैं।
मायावती और नसीमुद्दीन:
यूपी चुनाव तक मायावती के ख़ासमख़ास रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी कुछ महीने बाद ही धुर विरोधी बन गए। इस हद तक कि उन्होंने माया पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए उनके फोन टैप कर मीडिया को भी सुना दिए। तो माया ने भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। बसपा से निकलने के बाद नसीमुद्दीन राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा बना चुके हैं।