Odd & Weird

आंखों में नूर नहीं फिर भी कोहिनूर है

बुलंदियों के आसमां पर किसी चमकते तारे से कम नही हैं, जिनका व्यक्तित्व व कृतित्व सभी के लिए प्रेरक है। इनकी आंखों में नूर नहीं है, तो क्या हुआ जज्बात इतने बुलंद की असली कोहनूर कहे तो ये भी कम नही हैं। जी हाँ आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी कोहनूर से कम नही हैं। उनके इरादे इतने नेक हैं और हौसले इतने बुलंद हैं की वो हारे हुए को राह ही नहीं दिखाता उनकी जिंदगी में जोश और मकसद भर देता है। अमृतसर के ये दो सितारे भाई गुरमेज सिंह और रविंदर जोशी अपनी अद्भूत जीवन शक्ति से मिसाल बन गए हैं। इसी तरह पंडित रोहतास्व बाली और हरवंश सिंह ने साबित किया है कि हर अपनी कमजोरी को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाया जा सकता है।

हरिमंदिर साहिब में लंबे समय तक हजूरी रागी की सेवा निभाने के बाद सेवानिवृत्त हुए 76 वर्षीय भाई गुरमेज सिंह ने दृष्टिहीन होते हुए भी ब्रेल लिपि में आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति तैयार कर दी। इससे उन्‍होंने दृष्टिहीनों के लिए भी ज्ञर गुरुग्रंथ साहिब का अध्ययन सुलभ कर दिया। इसके अलावा विभिन्न रागों में उनकी कीर्तन की दो दर्जन से अधिक वीडीओ सीडी बाजार में उपलब्ध हैं। उनका जज्‍बा यहां दृष्टि से वंचित लोगों को जीने की राह दिखा रहा है।

अमृतसर के भाई गुरमेज सिंह।

 

भाई गुरमेज सिंह ने दृष्टिहीन तक गुरु साहिबानों की कृति पहुंचाई और उन्‍हें सिखी की राह दिखा रहे हैं। उनके प्रयास सिफ्र ही नहीं हर व्‍यक्ति को जीने का जज्‍बा देता है।

अमृतसर निवासी रविंदर कुमार जोशी (30 वर्ष) ने दृष्टिहीनता को कभी जिंदगी में बाधा नहीं बनने दिया। अंधविद्यालय से ग्रेजुएशन कर सरकारी स्कूल में संगीत अध्यापक की नौकरी कर रहे रविंदर दृष्टि फाउंडेशन के जरिये गरीब परिवारों के दृष्टिहीन बच्चों को शिक्षा भी दे रहे हैं। किराए के भवन में चल रहे दृष्टि आश्रय में 20 बच्चे हैं, जिन्हे रविंदर शिक्षा, खाना, कपड़े, स्टेशनरी आदि नि:शुल्क उपलब्ध करवाते हैं।

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