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मंदसौर गोलीकांड का दोषी आखिर कौन : माकपा

भोपाल, 20 जून (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसान गोली कांड की जांच रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखे जाने से पहले मीडिया में आने पर बवाल मचा हुआ है। मीडिया रपट के आधार पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सवाल उठाया है कि गोलीकांड के लिए पुलिस या सीआरपीएफ दोषी नहीं है तो दोषी कौन है। माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने बुधवार को बयान जारी कर कहा, यदि गोली चालन के लिए पुलिस या सीआरपीएफ दोषी नहीं है तो फिर दोषी कौन है? गोलीकांड के बाद मुख्यमंत्री के उपवास की समाप्ति पर घोषणा की गई थी कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अब जब सरकार के जांच आयोग ने किसी को दोषी ही करार नहीं दिया है, तो मुख्यमंत्री किसको सजा देंगे?

माकपा राज्य सचिव ने कहा है, गोलीकांड के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह कांड अफीम माफियाओं की ओर से कराया गया था और इसकी साजिश कोटा में बैठ कर रची गई थी। जांच आयोग ने इस साजिश का भी पर्दाफाश नहीं किया है, तो जाहिर है कि मुख्यमंत्री जैसे गरिमामय पद पर बैठा व्यक्ति सत्य नहीं बोल रहा था।

सिंह ने मीडिया रपट के आधार पर कहा है, जांच आयोग ने न तो पुलिस को और न ही प्रशासन को दोषी करार दिया है, लेकिन यह टिप्पणी जरूर की है कि गोलियां हवा में और जमीन में नहीं चलाई गईं। इससे जाहिर है कि भीड़ को भगाने की कोशिश नहीं की गई।

माकपा के अनुसार, कम से कम इस गलती के लिए कोई तो दोषी होगा ही, जांच आयोग के द्वारा कम से कम उसे तो दोषी ठहराया ही जाना चाहिए था।

जसविंदर ने आगे कहा, माकपा शुरू से ही मांग करती रही है कि जांच आयोग उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश की अध्यक्षता में होना चाहिए था और जांच आयोग का मुख्यालय पिपलिया मंडी होना चाहिए था, ताकि प्रभावित किसान अपना पक्ष आसानी से दर्ज करवा पाते। एक साजिश के तहत मृतकों को न्याय से वंचित करने और दोषियों को बचाने के लिए ही आयोग का मुख्यालय इंदौर स्थापित किया गया था।

माकपा ने कहा है, भाजपा के कार्यकाल में 108 निर्दोष पुलिस की गोली से मारे गए हैं। यह भाजपा सरकार के जनविरोधी रवैए को रेखांकित करता है। माकपा ने सभी किसान संगठनों और जनवादी आंदोलन व सामाजिक आंदोलनों से इस जांच रिपोर्ट का विरोध करने का आह्वान किया है।

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