आज हम बात कर रहे हैं महिलाओ के लिए बने कानून पर , शायद आप नही जानते हैं की हमारे देश में महिलाओं को लेकर बहुत सारे कानून बनाये गए हैं। तो महिलाएं अपनी प्रतिभा के दम पर आज हर क्षेत्र में काम कर रही है। शायद ही कोई काम ऐसा हो जिसमें औरतों की भागीदारी न हो। वह अपने करियर को लेकर गंभीर रहती हैं। उनमें अपनी मेहनत और काबलियत के दम पर आगे बढ़ने की ललक होती है।
तो वहीं,आजकल के समाज में भी कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनकी जिंदगी में मानसिक, शारीरिक, घरेलू हिस्सा, यौन उत्पीड़न,लिंग असमानता आदि जैसी कई कुरीतिया हिस्सा बन रही है। ऐसे में महिलाओं के अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है ताकि समय आने पर वह अपने उन अधिकारों का इस्तेमाल कर सके जो उन्हें भारतीय कानून द्वारा दिए गए हैं।
- क्या आपको पता है कि महिलाओं को रात में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है… और घर में पति ज्यादा नाटकबाजी करता है, तो पत्नी. खर्च करने के लिए हर महीने भत्ता भी मांग सकती है । आधी आबादी से जुड़े ऐसे कई कानून हैं, जिनकी जानकारी सबको होनी चाहिए।
2. घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
ये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है। आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है।
3.मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार
बलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है. स्टेशन हाउस आफिसर(SHO) के लिए ये ज़रूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण(Legal Services Authority) को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे.
4.. काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार
अगर महिला ऑफिस या फिर अपने काम पर उत्पीड़न का शिकार हो जाती है तो वह यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती है।
5. नाम न छापने का अधिकार
बलात्कार की शिकार हुई महिला को असली नाम न छपने देने का अधिकार है। उसके नाम की पूरी तरह से गोपनियता रखने का अधिकार दिया गया है। वह अपना ब्यान किसी महिला पुलिस अधिकार की मौजूदगी के सामने दर्ज करवा सकती है।
6. मातृत्व संबंधी अधिकार
महिलाओं को इस अधिकार के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। महिलाओं काे मातृत्व लाभ अधिनियम,1961 के तहत मैटरनिटी बेनिफिट्स का अधिकार दिया गया है। वह इस एक्ट के तहत गर्भवती होने पर 26 सप्ताह तक मैटरनिटी लीव ले सकती है। इसके अलावा इस दौरान उसकी सैलरी में कोई कटौती भी नहीं की जा सकती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं
7 . गरिमा और शालीनता का अधिकार
अगर महिला किसी मामले में अपराधी है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा संबंघी जांच की प्रक्रिया किसी दूसरी महिला की मौजूदगी में होनी जरूरी है।
8.तलाक की याचिका साल
हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार शादीशुदा जोड़ा शादी होने से के एक साल के भीतर तलाक की याचिका दर्ज नहीं की जा सकती।
9.ईमेल के जरिए भी पुलिस में शिकायत
किसी कारण यदि महिला खुद पुलिस स्टेशन नहीं जा सकती तो वो डिप्टी कमिश्नर या पुलिस कमिश्नर को अपनी शिकायत ईमेल या रजिस्टर्ड पोस्ट से भी भेज सकती है।
10. छेड़खानी के खिलाफ कानून
महिला की मर्यादा को भंग करते हुए अगर कोई उससे छेड़छाड़, कोई अभद्र इशारा या कोई गलत हरकत करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।
11. संपत्ति पर अधिकार
औरतों को दिए गए अधिकारों में यह अधिकार भी शामिल है कि पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है। इसके अलावा शादी के बाद पति की संपत्ति पर पत्नी का मालिकाना हक होता है। महिला को यह पूरा अधिकार है कि पति उसका भरण-पोषण करें।