अब भारत में आप लोग उठाएंगे लंदन के सफर जैसे आनंद. अब आप सोच रहे होंगे कैसे? तो चलिए हम बताते हैं आपको, दिल्ली के बाहर बने ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर आपको यह लंदन जैसा आनंद मिलेगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को इस एक्सप्रेस वे का उद्घाटन कर दिया है. यह देश का पहला हाईटेक एक्सप्रेस-वे है, जो प्रदूषण से घुटती दिल्ली के लिए एक तरह से संजीवनी साबित होगा.
मोदी ने आज सुबह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के पहले फेज़ का उद्घाटन किया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सबसे हाईटेक ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे को देश को समर्पित करेंगे. 11,000 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे कुल 135 किलोमीटर का है. एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने यहां पर रोड शो भी किया.
PM Narendra Modi holds road show after inauguration of first phase of Delhi-Meerut Expressway. Union Minister Nitin Gadkari also present pic.twitter.com/DBjBxvT1VO
— ANI (@ANI) May 27, 2018
प्रधानमंत्री का ‘रोड शो’ निजामुद्दीन ब्रिज से शुरू हुआ, यह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का लगभग नौ किलोमीटर का पहला चरण है. रोड शो करने के बाद पीएम मोदी अक्षरधाम से बागपत के लिए रवाना होंगे.
भारत के पहले 14 लेन के दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे के पहले चरण का काम भी पूरा हो गया. दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे पर 14 लेन के अलावा 2.5 मीटर का साइकिल ट्रैक भी होगा. दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस-वे बनने पर 7566 करोड़ रुपये का बजट है.
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे देश का पहिला स्मार्ट वे है,जो रेकॉर्ड टाइम में पूरा हुआ है, यह हमारी इंजीनियरिंग का नमुना है। मै हमारी पूरी टीम को बधाई देता हूं।#PragatiKaHighway pic.twitter.com/i53R5VzHGx
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) May 26, 2018
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के बनने के बाद दिल्ली से मेरठ जाने में 45 मिनट का ही समय लगेगा, जबकि फिलहाल इस रूट पर अक्सर ट्रैफिक जाम होने की वजह से 2 घंटे से ज्यादा समय लग जाता है.
ईस्टर्न पेरीफेरल देश का पहला राजमार्ग है जहां सौर बिजली से सड़क रोशन होगी. इसके अलावा प्रत्येक 500 मीटर पर दोनों तरफ वर्षा जल संचयन की व्यवस्था होगी. साथ ही इसमें 36 राष्ट्रीय स्मारकों को प्रदर्शित किया जाएगा तथा 40 झरने होंगे. इसे रिकॉर्ड 500 दिनों में पूरा किया गया है, इस एक्सप्रेस वे पर 8 सौर संयंत्र हैं. जिनकी क्षमता 4 मेगावाट है. प्रधानमंत्री ने इस परियोजना के लिये आधारशिला पांच नवंबर 2015 को रखी थी.