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बच्चे पैदा करने के लिए छुट्टी और पैसे दे रहे ये 10 देश, जानिए आखिर क्यों आई ऐसी नौबत

मां बनाने की ख़ुशी एक लड़की के लिए सबसे अनोखी होती है। लेकिन आजकल की बिजी लाइफ में लड़कियों या तो अकेले रहती है या फिर एक से ज्यादा बच्चे नहीं चाहती है। दुनि‍या में ऐसे देशों की गि‍नती बढ़ रही है, जहां बच्‍चों की जन्‍मदर घट रही है। कुछ देशों में हालात इस कदर बि‍गड़ गई हैं कि‍ आने वाले टाइम में देश कैसे चलेगा इस बात की चिंता सता रही है। हालात को भांपते हुए इन देशों की सरकारें लोगों को प्रोत्‍साहि‍त कर रही हैं वो बच्‍चे पैदा करें। जानें ऐसे 10 देशों के बारे में –रोमानि‍या – सन 1990 के बाद से यहां की जनसंख्‍या में लगातार गि‍रावट आ रही है। जनसंख्‍सा वृद्धि‍ दर नेगेटि‍व में चल रही है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की कैलकुलेशन के मुताबि‍क, वर्ष 2018 में यहां जनसंख्‍या की वृद्धि‍ दर -0.50 % है। यहां के हालात इस कदर बि‍गड़ रहे हैं कि‍ सरकार ने बच्‍चे न पैदा करने वाले दंपति‍यों पर टैक्‍स थोप दि‍या है। ऐसे लोगों पर 20 फीसदी का इनकम टैक्‍स लगाया जाता है। इसके पीछे सीधा सा लॉजि‍क है – अगर आप देश को भवि‍ष्‍य में काम करने के लि‍ए कामगार नहीं दे रहे तो डॉलर दें। इसके अलावा कानून इतने सख्‍त कर दि‍ए गए हैं कि‍ बि‍ना बच्‍चों वाले कपल के लि‍ए तलाक असंभव हो जाए।तुर्की – वर्डोमीटर के मुताबि‍क, 10 मई 2018 को इस देश की जनसंख्‍या, 8,17,42720 है। यहां की जनसंख्‍या वृद्धि‍ दर लगातार नीचे जा रही है। इसके चलते तुर्की की सरकार ने बच्‍चे पैदा करने पर ईनाम देने की घोषणा की है। पहला बच्‍चा पैदा होने पर 130 डॉलर, दूसरे बच्‍चे पर 170 डॉलर और तीसरा बच्‍चा पैदा होने पर 260 डॉलर का इनाम मि‍लेगा। राष्‍ट्रपति‍ एरडोगान का मकसद है कि‍ हर परि‍वार में कम से कम तीन बच्‍चे जन्‍म लें। वर्ष 2015 में इस पॉलि‍सी की घोषणा की गई थी। यहां मां बनने वाली महि‍लाओं को फुल टाइम के वेतन पर पार्ट टाइम जॉब भी दी जाती है।हांगकांग – हांगकांग भी उसी तरह की चुनौति‍यों का सामना कर रहा है जैसी अन्‍य इंडस्ट्रियलाइज्ड देश कर रहे हैं। यहां प्रति‍ महि‍ला 1.23 बच्‍चा है। यह रेट भी सरकार की कोशि‍शों के बाद सुधरा है। वर्ष 2005 में यहां फर्टीलि‍टी रेट 0.95 चला गया था। वर्ष 2013 में यहां कपल्‍स को नकद इनाम देने की योजना प्रस्‍तावि‍त की गई थी, मगर उसपर अमल नहीं हुआ। हालांकि‍ सरकार लोगों को लोगों को बच्‍चे पैदा करने के लि‍ए प्रोत्‍साहि‍त करती रहती है।जापान – यहां तो सन 1975 से ही इस समस्‍या की शरुआत हो गई थी। यहां भी सरकार लोगों को प्रोत्‍साहि‍त कर रही है कि‍ वह बच्‍चे पैदा करें। वर्ष 2010 में यूनि‍वर्सि‍टी ऑफ टीसुकुबा के छात्रों ने योतारो बेबी रोबोट बनाया ताकि‍ कपल्‍स को इस बात का फील आ सके कि‍ पैरेंट्स बनना कैसा होता है।डेनमार्क – वर्ष 2018 में डेनामार्क की जनसंख्‍या महज 57,51360 है। यहां की महि‍लाओं का फर्टीलि‍टी रेट 2018 में 1.71 हो गया है जोकि‍ सन 2000 में 1.25 तक गि‍र गया था। सरकार की कोशि‍शों के बाद इसमें सुधार आया है। आपको अपने परि‍वार के लि‍ए बच्‍चे नहीं चाहि‍ए तो कम से कम डेनमार्क के लि‍ए पैदा करें। सरकार कुछ इस तरह बच्‍चे पैदा करने के लि‍ए प्रोत्‍साहि‍त कि‍या जा रहा है। इस देश में महि‍लाओं को फर्टिलिटी रेट महज 1.73 बच्‍चे हो गया है। एक ट्रैवल कंपनी तो इसके लि‍ए वि‍शेष ऑफर लेकर आई है। इसके तहत अगर उस ट्रैवल कंपनी से लि‍ए गए टूर पैकेज के दौरान अगर कोई महि‍ला गर्भधारण करती है तो कंपनी की ओर से तीन साल तक बच्‍चे की जरूरत की चीजें मुफ्त में मुहैया कराई जाएंगी।स्‍पेन – स्‍पेन की जनसंख्‍या का ग्रोथ रेट 2015 में नेगेटि‍व में चला गया था। इसके बाद सरकार ने जबरदस्‍त कैंपेन चलाया, जि‍सकी बदौलत 2017 में 0.01 फीसदी पर आया और 2018 में ग्रोथ रेट 0.09 फीसदी है। स्‍पेन के लोग बच्‍चे पैदा करने में कुछ खास रुचि‍ नहीं ले रहे हैं। इससे पैदा होने वाले हालत को देखते हुए सरकार ने एक स्‍पेशल कमि‍शनर को नि‍युक्‍त कि‍या। उनका पहला काम ये पता लगाना है कि‍ ऐसा क्‍यूं हो रहा है और उसके बाद इस ट्रेंड को बदलने के लि‍ए रणनीति‍ तैयार करना है।दक्षि‍ण कोरि‍या – हर महीने के तीसरे बुधवार को दक्षि‍ण कोरि‍या के अधि‍कारी शाम को 7 बजे लाइट बंद कर देते हैं। इस दि‍न को फैमि‍ली डे के नाम जाना जाता है। यहां प्रति‍ महि‍ला फर्टिलिटी रेट केवल 1.25 है यह 2016 से 2018 तक इसी स्‍तर पर बना हुआ है। सरकार फैमि‍ली लाइफ को प्रमोट करने के लि‍ए हर तरह के कदम उठा रही है। जि‍न लोगों के पास एक से ज्‍यादा बच्‍चे हैं उन्‍हें नकद प्रोत्‍साहन दि‍या जा रहा है।रूस – रूस के हालात भी ठीक नहीं हैं। युवकों की जवानी में मौत हो रही है। एचआईवी/एड्स की बीमारी और शराब की आदत बढ़ रही है। महि‍लाएं बच्‍चे पैदा नहीं कर रहीं। यह समस्‍या आज से नहीं है। वर्ष 2005 में यहां महि‍लाओं का फर्टीलि‍टी रेट 1.30 तक आ गया थ। सरकार की कोशि‍शों के बाद अब 2018 में यह रेट 1.71 है। वर्ष 2007 में सरकार ने 12 सि‍तंबर को गर्भधारण दि‍वस घोषि‍त कर दि‍या था। इस दि‍न की छुट्टी रहती है ताकि‍ लोग बच्‍चे पैदा करने पर फोकस कर सकें। जो महि‍लाएं इस दि‍न के ठीक नौ माह बाद बच्‍चे को जन्‍म देती हैं उन्‍हें एक फ्रि‍ज उपहार के तौर पर दि‍या जाता है।सिंगापुर – 2018 के आंकड़ों के मुताबि‍क, जनसंख्‍या के मामले में यह दुनि‍या में 114वें नंबर पर है। यहां की महि‍लाओं का फर्टिलिटी रेट 1955 में 6.61 था जो 2018 में 1.24 आ गया है। वर्ष 2015 में यह 1.23 था, जि‍समें अब सुधार हो गया है। इन हालत के चलते 9 अगस्‍त 2012 को सरकार ने नेशनल नाइट का आयोजन कि‍या था। इसका मकसद लोगों को संबंध बनाने के लि‍ए प्रेरि‍त करना था। सरकार ने कि‍राये के लि‍ए उपलब्‍ध छोटे वन बेडरूम अपार्टमेंट की भी सीमा तय कर दी है ताकि‍ लोग साथ रहने और परि‍वार बनाने के बारे में सोचें। हर साल सरकार 1.6 अरब डॉलर उन प्रोग्राम पर खर्च करती है, जि‍नका मकसद लोगों को संबंध बनाने के लि‍ए प्रोत्‍साहि‍त करना है।इटली – इटली में 2018 में फर्टिलिटी रेट महज 1.44 है यह यूरोप के औसत 1.58 से भी कम है। हालात के मद्देनजर सरकार ने लोगों को संबंध बनाने के लि‍ए प्रोत्‍साहि‍त करने करने की पॉलि‍सी बनाई है। सरकार इस तरह के वि‍ज्ञापन चला रही है कि‍ समय नि‍कल रहा है और बच्‍चे यूं ही नहीं आते। वि‍ज्ञापन का मकसद लोगों को याद दि‍लाना है कि‍ वह समय से बच्‍चे पैदा कर लें। ‘सुदंरता की कोई उम्र नहीं होती मगर बच्‍चे पैदा करने की होती है’ सरकार ने यह वि‍ज्ञापन जारी कि‍या है। दूसरे वि‍ज्ञापन में कहा गया है, आगे बढ़ो इंतजार मत करो।

 

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