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‘विज्ञान और तकनीक का प्रयोग जीवन को खुशहाल बनाने में हो’

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि सकल राष्ट्रीय आय के साथ-साथ इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि कैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी खुशहाली और बेहतर जीवन ला सकती है।

उपराष्ट्रपति सोमवार को कोच्चि में आदि शंकर इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में आदि शंकर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार 2018 प्रदान करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आदि शंकर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार 2018 हमारे युवा भारत में जिज्ञासा, सरलता और नवाचारी पहल का साक्षी है। उन्होंने कहा कि इस आशा और विश्वास के साथ भारत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में फिर से अपना उचित स्थान प्राप्त करने में सक्षम होगा।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में मानवीय ज्ञान में प्रगति जानने की भावना, प्रश्न करने की क्षमता, अनुसंधान योग्यता और सत्य के निष्कर्ष पर पहुंचने की क्षमता के कारण हुई है। उपराष्ट्रपति ने उत्कृष्टता के लिए तीन गुणों की चर्चा की। पहला गुण है – प्रत्येक व्यक्ति संस्थान और संसाधन से जानने की उत्सुकता, दूसरा परख, विश्लेषण की क्षमता और तीसरा गुण नए समाधान के लिए खोज करना, ताकि समस्या का निराकरण हो सके।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आदि शंकर न केवल महान दार्शनिक थे, बल्कि असाधारण कवि भी थे। उन्होंने कहा कि आदि शंकर ने अद्वैत दर्शन की व्याख्या की, जिसके अनुसार ज्ञान के माध्यम से मानव लौकिक हो सकता है और अंतिम लक्ष्य सतचित आनंद का अनुभव करना है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ज्ञान हमें चतुर बनाता है और अपने जीवन में सुधार के लिए चतुराई के साथ ज्ञान का उपयोग करना होगा। हम सभी आखिरकार आनंद की इच्छा रखते हैं और इसीलिए हम सकल राष्ट्रीय खुशहाली की बात करते हैं। हमें श्रेष्ठ भारतीय परंपरा से प्रेरणा लेनी चाहिए और पुरानी अनुपयोगी बातों का त्याग करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और कहा कि इस तरह के पुरस्कार हमारी शिक्षा प्रणाली का हिस्सा हो गए हैं।

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Vineet Bajpai
the authorVineet Bajpai
Senior Reporter & Copy Editor