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प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ ‘दुर्व्यवहार’ के पांच मामले

नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)| विपक्षी पार्टियों ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सौंपा। विपक्षी पार्टियों ने ‘दुर्व्यवहार करने के पांच आधार’ पर महाभियोग पेश किया है।

विपक्षी दलों का पहला आरोप प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट से संबंधित है जिसमें इस मामले में संबंधित व्यक्तियों को अवैध लाभ प्रदान किया गया। प्रधान न्यायाधीश ने जिस तरह से इस मामले को देखा उस पर भी विपक्षी दलों ने सवाल उठाया है।

विपक्षी दलों का आरोप है कि इस मामले में सीबीआई ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति नारायण शुक्ला के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की इजाजत मांगी लेकिन उन्होंने जांच की इजाजत नहीं दी।

विपक्षी दलों का दूसरा आरोप एक रिट याचिका को प्रधान न्यायाधीश द्वारा देखे जाने के प्रशासनिक और न्यायिक संदर्भ में है। इसमें प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के मामले में जांच की मांग की गई थी।

तीसरा आरोप भी इसी से जुड़ा है। विपक्षी दलों ने कहा है किऐसा होता रहा है कि जब प्रधान न्यायाधीश संविधान पीठ में होते हैं तो किसी मामले को शीर्ष अदालत के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश के पास भेजा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

विपक्षी दलों ने चौथा आरोप प्रधान न्यायाधीश द्वारा गलत शपथपत्र देकर जमीन हासिल करने का लगाया है। न्यायाधीश मिश्रा ने वकील रहते हुए गलत शपथपत्र देकर जमीन हासिल की थी। अतिरिक्त जिलाधिकारी ने 1985 में ही जमीन का आवंटन रद्द कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय में चुने जाने के बाद उन्होंने वर्ष 2012 में जमीन वापस की।

विपक्षी दलों का पांचवां आरोप है कि प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय में कुछ महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील मामलों को विभिन्न पीठ को आवंटित करने में अपने पद एवं अधिकारों का दुरुपयोग किया और यह परिणामों को प्रभावित करने के लिए किया गया।

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