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बांग्लादेश के इस फैसले को जानने के बाद आप बांग्लादेशी बनना चाहेंगे

नई दिल्ली। भारत के युवाओं को जिन व्यवस्थाओं से शिकायत है उस फ़ेहरिश्त में सबसे पहले जो आता है, वो है ‘आरक्षण’। आरक्षण, हमारे देश में एक ऐसी व्यवस्था बन गया है जिसे न सरकार ख़त्म कर पा रही है और न युवा अपना पीछा छुड़ा पा रहा है। आरक्षण का खुल कर राजनैतिक इस्तेमाल किया जाता है। कभी इसे ख़त्म करने के नाम पर, तो कभी इसे बढ़ाने के नाम पर। लेकिन हमारे पड़ोसी देश, बांग्लादेश ने आरक्षण को लेकर एक ऐसा कठोर फैसला लिया है जो शायद यहाँ की सरकारें कभी ले ही न पाए।

दरअसल बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आज कहा कि उन्होंने सरकारी सेवाओं में आरक्षण प्रणाली को खत्म करने का फैसला लिया है। पहले यहाँ विशेष समूहों के लिए आरक्षित नौकरियों की व्यवस्था थी लेकिन इस विवादित नीति के खिलाफ देश भर में हजारों छात्रों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद इस व्यवस्था को वापस ले लिया गया है। अभी कुछ दिनों पहले ढाका विश्वविद्यालय में छात्रों की झड़प हो गई थी। जिसमें 100 से ज्यादा छात्र गैस और रबड़ की गोली से घायल हो गए थे। फिर छात्रों की भीड़ ने ढाका में मुख्य मार्गों को बंद कर दिया था जिससे यातायात पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। इसके बाद से ही विश्वविद्यालय में पुलिस तैनात कर दी गई थी।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संसद में कहा, “आरक्षण प्रणाली समाप्त की जाएगी क्योंकि छात्र इसे नहीं चाहते हैं। छात्रों ने काफी प्रदर्शन कर लिया, अब उन्हें घर लौट जाने दें।” प्रधानमंत्री ने आरक्षण ख़त्म कर दिया है लेकिन उन्होंने कहा कि, “सरकार उन लोगों के लिए नौकरियों में विशेष व्यवस्था करेगी जो विकलांग या अल्पसंख्यक हैं।”

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