नई दिल्ली। हरियाणा सरकार की सतलुज यमुना लिंक मामले पर पंजाब के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बहाल रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पंजाब और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस अमिताभ राय की बेंच ने केंद्रीय गृह सचिव, पंजाब के डीजीपी और मुख्य सचिव को रिसीवर नियुक्त किया है और उनसे जमीनी हालात का जायजा लेकर एक सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिया है कि नहर की जमीन आज से किसानों को लौटाई न जाए। कोर्ट ने जिन किसानों की जमीन लौटाई गई है उनके वर्तमान स्टेटस के बारे में कोई आदेश नहीं दिया है लिहाजा वे जमीनें किसानों के पास ही रहेंगी।
हरियाणा की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने पंजाब द्वारा 6 नवंबर के नोटिफिकेशन की वैधता पर सवाल उठाया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट्स एक्ट, 2004 को अवैध ठहराया था।
कोर्ट ने राष्ट्रपति के रेफरेंस पर जवाब देते हुए कहा था कि विधानसभा को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शून्य करार देने का कोई हक नहीं है। इस आधार पर पंजाब सरकार का 16 नवंबर के नोटिफिकेशन की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। पंजाब की ओर से वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी और हरीश साल्वे ने अपनी दलीलें रखीं। रामजेठमलानी ने कहा कि ये मसला कड़े कानूनी प्रावधानों के जरिये हल नहीं हो सकते हैं।
हरियाणा ने अपनी याचिका में इस मसले पर यथास्थिति बरकरार रखने की मांग की है। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि पंजाब के जमीन वापस लेने के फैसले पर रोक लगाई जाए। हरियाणा सरकार ने दलील दी है कि पंजाब के इस फैसले से स्थिति विस्फोटक हो गई है। आपको बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान जज जस्टिस युयु ललित ने अपने को सुनवाई से अलग कर लिया था।