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सुशील के साथ बैठकर मामला सुलझाए कुश्ती महासंघ: न्यायालय

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नई दिल्ली | दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) से कहा कि वह ओलम्पिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार के साथ बैठकर उनसे जुड़े मामले को सुलझाने का प्रयास करे। न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह ने कहा कि ध्यान देने योग्य बात यह है कि अदालत विशेषज्ञ निकाय द्वारा लिए गए निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेगी। उन्होंने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और कोच को सुशील के साथ बैठकर इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कहा।

उन्होंने कहा, “डब्ल्यूएफआई फैसले लेता है और अगर कुछ विकृति होती है, तो ही मैं इसमें हस्तक्षेप करूंगा। ” सुशील रियो ओलम्पिक में 74 किलोग्राम वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं लेकिन नरसिंह यादव पहले ही इस वर्ग में ओलम्पिक कोटा हासिल कर चुके हैं। अब सुशील चाहते हैं कि उनका नरसिंह के साथ मुकाबला हो और जो भी जीते, वह रियो जाए। अदालत ने कहा कि संघ ने नरसिंह के नाम को भेजने का फैसला किया है, तो फिर आप सुशील से बात कर उसे इस बारे में विस्तार से क्यों नहीं समझाते?

न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि सुशील ने देश के लिए काफी ख्याति हासिल की है और उनका मुद्दा संघ के लिए विचार योग्य है। उन्होंने कहा, “आप नरसिंह के प्रयास को भी कम नहीं आंक सकते। उनके बगैर, रियो ओलम्पिक में स्थान हासिल कर पाना मुश्किल था।” अदालत ने सुशील के वकील से सवालिया लहजे में कहा कि अगर परीक्षण के दौरान कोई घायल हो जाएगा, तो फिर क्या होगा? अदालत ने आगे कहा कि हर किसी को प्रशिक्षण में ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। इस तरह से पहलवान अपने अभ्यास पर कैसे ध्यान दे पाएंगे?

सुशील इससे पहले भारत के लिए दो मौकों पर ओलम्पिक पदक जीत चुके हैं। बीजिंग में सुशील ने कांस्य जीता था और फिर लंदन में रजत जीता लेकिन दोनों पदक उन्होंने 66 किलोग्राम वर्ग में जीते थे, जिसे अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ ने बीते साल भंग कर दिया था। इसके बाद सुशील ने 74 किलोग्राम का रुख किया, जिसमें नरसिंह भारत के नम्बर-1 पहलवान हैं। सुशील ने रियो जाने के प्रयासों के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका के माध्यम से रास्ता तलाशने की कोशिश की लेकिन न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए डब्ल्यूएफआई से कहा कि वह सुशील के साथ बैठकर मामले को सुलझाने का प्रयास करे।

न्यायालय ने कहा, “डब्ल्यूएफआई ही ऐसे मामलों में फैसले लेता है। हम इसमें तभी घुसते, जब किसी प्रकार की गड़बड़ी हुई होती। ऐसे में डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और कोच को सुशील के साथ बैठकर उनके रियो जाने को लेकर कोई रास्ता निकालना चाहिए।” अदालत ने हालांकि डब्ल्यूएफआई, नरसिंह यादव, भारतीय ओलम्पिक संघ, भारतीय खेल प्राधिकरण और खेल मंत्रालय को सुशील की इस शिकायत पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि ओलम्पिक सीट के लिए सेलेक्शन ट्रायल राष्ट्रीय खेल कोड के मुताबिक नहीं हुए।

अदालत ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई अब 27 मई को करेगा। सुशील चोटिल होने के कारण रियो ओलम्पिक के लिए क्वालीफिकेशन चरण में शामिल नहीं हो पाए थे और नरसिंह ने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए ओलम्पिक टिकट हासिल किया था। डब्ल्यूएफआई से बार-बार किए गए अनुरोध को नजरअंदाज किए जाने के बाद सुशील ने न्याय के लिए अदालत का रुख किया। सुनवाई के दौरान, डब्ल्यूएफआई के वकील ने अदालत को बताया कि 2014 तक सुशील ने 66 किलो वर्ग प्रतियोगिताओं में ही हिस्सा लिया था।

वकील ने कहा, “अब वह 74 किलो वर्ग में हिस्सा लेना चाहते हैं। नरसिंह ने 2015 में विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया था। पिछले दो साल से सुशील, नरसिंह के साथ किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता को नजरअंदाज करते आए हैं।” अधिवक्ता ने कहा कि कुमार आधिकारिक प्रशिक्षण में हिस्सा नहीं ले रहे हैं और वह किसी अन्य कोच के नेतृत्व में अभ्यास कर रहे हैं।

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