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एक बार फिर होगी आलू पर सियासत, आधे अधूरे हैं इंतजाम

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में कुछ दिन पहले आलू को लेकर खूब राजनीति हुई थी। विधानसभा और राजभवन के सामने आलू फेंके जाने के बाद विपक्ष अचानक ही आक्रामक हो गया था। पूर्व सीएम वा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सरकार के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था, लेकिन सही मायने में सच्चाई यह है कि आलू का नया सीजन आने वाला है, लेकिन अभी तक सरकार के दावे जमीन पर नहीं दिखाई दे रहे हैं।

बता दें कि अधिकारियों का दावा है कि नए सीजन में आलू के भंडारण में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आएगी। आलू किसानों की समस्या के हल के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने भरोसा दिलाया था कि आलू किसानों की सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो आलू का समर्थन मूल्य और बढ़ाया जा सकता है। उनके इस निर्देश के बाद मंत्रियों की बैठक भी हुई थी, जिसमें अभी तक कोई ठोस निर्णय किसानों के हित में नहीं लिया जा सका है।

इस बीच नए सीजन में अब आलू की खुदाई भी शुरू हो चुकी है। फरवरी और मार्च तक आलू बाजार में आ जाएगा। ऐसे में किसानों की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल 155 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था जबकि इस वर्ष और अधिक आलू पैदा होने की संभावना जताई जा रही है। किसानों की समस्या यह है कि पिछले वर्ष किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। सरकारी वादों और दावों के बावजूद नए कोल्ड स्टोरेज की संख्या में बढ़ोतरी न होना किसानों की मूल चिंता है। ऐसे में किसानों की चिंता भी जायज है।

यूपी में आलू के उत्पादन के पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर ध्यान दें तो वर्ष 2011-12 में 123 लाख टन, 2012-2013 में 133 लाख टन का उत्पादन हुआ था। इसी तरह 2013-14 में आलू के उत्पादन में थोड़ी गिरावट आई थी। इस वर्ष 120 लाख टन का उत्पादन हुआ था। इससे किसानों को हालांकि कोई समस्या नहीं आई थी। इसी तरह वर्ष 2014-15 में फिर आलू के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई और यह बढ़कर 129 लाख टन पहुंच गया। इसके बाद वर्ष 2015-16 में आलू का उत्पादन बढ़कर 141 लाख टन पहुंच गया था। पिछले दो तीन सालों से आलू के उत्पादन में निरंतर वृद्धि हो रही है।

शासन से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस वर्ष आलू का उत्पादन 160 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है। ऐसे में अगर सरकार ने आलू के भंडारण का पार्याप्त इंतजाम नहीं किया तो किसानों की परेशानियां बढ़ सकती हैं। वहीं एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल उत्तर प्रदेश में 1,825 कोल्ड स्टोरेज हैं। इनकी क्षमता 142 लाख टन आलू भंडारण की है। उन्होंने बताया, ‘पिछले साल आलू का उत्पादन लगभग 155 लाख टन हुआ था, जबकि पिछले साल कोल्ड स्टोरेज की संख्या 1708 थी। इस वर्ष कोल्ड स्टोरेज जरूर बढ़े हैं, लेकिन आलू के उत्पादन को देखते हुए वह भी पार्याप्त नहीं हैं।’ उत्तर प्रदेश में कोल्ड स्टोरेज की कमियों को लेकर उद्यान निदेशक एस पी जोशी का कहना है कि पिछले साल कई नए कोल्ड स्टोरेज बनाए गए थे। ऐसे में भंडारण की कोई पेरशानी नहीं आएगी। सरकार भी आलू किसानों के हित में कई योजनाएं ला रही है। किसानों को कोई समस्या नहीं होने दी जाएगी।

9 फरवरी से होगा आलू किसानों का आंदोलन

भारतीय किसान यूनियन ने नौ फरवरी को आलू किसानों की समस्याओं को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। यूनियन के मंडल अध्यक्ष हरनाम सिंह ने सरकार पर किसानों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकारें वादे तो बहुत करती हैं लेकिन उन पर अमल नहीं किया जाता। इससे किसानों की नाराजगी लगातार बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद में पिछले दिनों लगे शिविर में यह तय किया गया कि नौ फरवरी से प्रदेश भर में आलू किसान आंदोलन करेंगे। बता दें कि इसकी शुरुआत बाराबंकी से होगी। वहां पर प्रदेश भर के सभी आलू किसान महापंचायत करेंगे और सरकार से भी बात करने का प्रयास किया जाएगा।

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Dileep Kumar
the authorDileep Kumar