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मैक्स अस्पताल पर सरकार का निर्णय तर्कहीन और निरंकुश : डीएमए

नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)| दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने शनिवार को शालीमार बाग में स्थित मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द किए जाने के फैसले को तर्कहीन और निरंकुश बताया है। मैक्स अस्पताल ने एक नवजात को मृत घोषित कर दिया था, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने यह कठोर निर्णय लिया।

डीएमए ने कहा कि सरकार को दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था, जो कुछ दिनों में सौंपी जाएगी।

डीएमए के मुताबिक, जब संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ जांच होनी है, तो पूरे अस्पताल को बंद करने का फैसला बहुत कठोर है।

डीएमए के अश्विनी गोयल ने कहा, पूरे अस्पताल को बंद करने का निर्णय तर्कसंगत और निरंकुश है। प्राइवेट अस्पताल दिल्ली के 80 फीसदी मरीज के बोझ उठाते हैं। संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई संभावित है, लेकिन अन्य सभी विभाग और अस्पताल इसका खामियाजा क्यों भुगते।

तीन सदस्यीय समिति ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया गया, जिसमें सरकार ने अस्पताल पर किसी भी नए रोगी को स्वीकार करने, सभी बाहरी चिकित्सा सेवाओं और प्रयोगशाला परीक्षणों पर रोक लगा दी।

चिकित्सा सेवा के नाम पर लूट का पर्याय बने मैक्स अस्पताल ने 30 नवंबर को 22 सप्ताह की गर्भवती को 25-25 हजार रुपये के दो इंजेक्शन लगाकर प्रसव कराया। नवजात लड़के को मृत घोषित कर दिया और मृत जन्मी उसकी नवजात बहन के साथ प्लास्टिक की थैली में उसके माता-पिता को सौंप दिया। हालांकि, दफन करने के लिए ले जाते समय बच्चा अचानक हरकत करने लगा। बच्चे को उत्तर दिल्ली के अग्रवाल नर्सिग होम में भर्ती कराया गया, लेकिन बुधवार को उसकी मौत हो गई।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी लाइसेंस रद्द किए जाने को बहुत कठोर कदम बताया। संगठन ने मैक्स अस्पताल का समर्थन किया और कहा कि अगर सभी अस्पतालों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े, जहां ऐसी गलतियों के कारण मरीजों की मौत हो जाए, तो स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो जाएंगी।

उधर, डीएमए ने कहा कि अगर जरूरत हुई तो वे हड़ताल भी करेंगे और सरकार से मैक्स अस्पताल के लाइसेंस रद्द करने के फैसले को वापस लेने की अपील करेंगे।

गोयल के अनुसार, डीएमसी ने एक संवैधानिक निकाय होने के नाते इस मामले पर संज्ञान ले लिया है और एक या दो दिन में अपनी रिपोर्ट के साथ आगे आएगी।

इस बीच, दिल्ली सरकार के आदेश को कठोर बताते हुए मैक्स अस्पताल ने कहा कि उन्हें मामले के पक्ष को आगे बढ़ाने का पर्याप्त मौका नहीं दिया गया।

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