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जानिए पाण्डवों के साथ कैसे द्रौपदी ने मनाई थी सुहागरात

द्रौपदी को लेकर पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया में हल्ला मचा हुआ है। द्रौपदी की सुहागरात को लेकर लोग अपने-अपने हिसाब से बातें भी करते हैं। लेकिन स्पष्ट तौर पर ऐसी बातें बहुत कम लोगों को ही पता है। या फिर उन्हें जिन्हें इस मामले में थोड़ी जानकारी है। वैसे आपको बता दें कि द्रौपदी की शादी स्वयंवर में तो केवल अर्जुन से हुई थी।

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लेकिन इसके बाद द्रौपदी पांच भाइयों की पत्नी कैसे बन गईं? पांचों के साथ द्रौपदी के साथ सभी भाइयों के संबंध कैसे थे? यह अधिकांश के लिए रहस्य ही है। मसलन ज्यादातर लोग तो कयास ही लगाते रहते हैं। आज हम द्रौपदी से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातें आपके लिए लेकर आए हैं। यह पढ़ने के बाद शायद आपको कई बातों का जवाब भी मिल जाए।

तो पढ़िए पूरी स्टोरी। साथ ही जानिए कि कैसी थी द्रौपदी की सुहागरात?

1. कौन थीं द्रौपदी

द्रौपदी पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री थीं। महाभारत के अनुसार द्रौपदी का जन्म महाराज द्रुपद के यहाँ यज्ञकुण्ड से हुआ था। महाभारत के चर्चित किरदारों में एक नाम द्रौपदी का भी है।

2. कैसे हुआ था विवाह

कुंती के स्वयंवर में अर्जुन के साथ ही पाण्डव भी शामिल थे। अर्जुन तो महान धनुर्धर थे। स्वयंवर की शर्त के अनुसार उन्होंने नीचे जल में प्रतिबिम्ब देखते हुए ऊपर घूमती हुई मछली की आंख में निशाना साध दिया था। इसके बाद द्रौपदी ने अर्जुन को वरमाला डाल दी।

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3. फिर क्या हुआ
पाण्डव द्रौपदी को लेकर घर पहुंचे। वहां उनके साथ उनकी माता कुंती भी रहती थी। चूंकि उस समय वो किसी काम में व्यस्त थीं। ऐसे में जब अर्जुन ने कहा कि, माता देखिए हम क्या लेकर आए हैं?

4. माता कुंती ने कह दी थी ऐसी बात

कुंती ने कहा, ‘जो भी लाए हो पांचों भाई अापस में बांट लो।’ इसे सुनकर सब आश्चर्यचकित हो गए। जब माता कुंती ने द्रौपदी को देखा तो वो खुद अचम्भित रह गईं। इसके बाद सोचने लगी कि यह मैंने क्या बोल दिया? अब पांडव तो अपनी मां की हर बात को मानते थे। ऐसे में पांचों ने ही द्रौपदी को पत्नी रूप में स्वीकार किया।

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5. फैले हैं भ्रम

कुछ लोग कहते हैं कि द्रौपदी ने पहले दिन युधिष्ठिर, दूसरे दिन भीम, तीसरे दिन अर्जुन, चौथे दिन नकुल और पांचवें दिन सहदेव के साथ सुहागरात मनाई थी।

6. पाण्डवों ने बनाया था नियम
द्रौपदी से विवाह के बाद एक दिन नारद मुनि, पांडवों से मिलने आए। उन्होंने पांडवों को बताया कि, ‘प्राचीन समय में सुंद-उपसुंद नामक दो राक्षस भाई थे। उन्होंने अपने पराक्रम से देवताओं को भी जीत लिया था, लेकिन एक स्त्री के कारण दोनों में फूट पड़ गई। इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे का वध कर दिया। ऐसी स्थिति तुम्हारे साथ न हो। इसलिए कोई न कोई नियम बनाओ।’

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7. ये था नियम

तब पांडवों ने एक नियम बनाया कि द्रौपदी एक नियमित समय तक एक भाई के पास रहेगी। जब एक भाई द्रौपदी के साथ एकांत में होगा तो वहां दूसरा भाई नहीं जाएगा। यदि कोई भाई इस नियम का उल्लंघन करता है तो उसे वनवास काटना होगा।

8. अर्जुन को काटना पड़ा था वनवास

कथा के अनुसार एक बार जब युधिष्ठिर द्रौपदी के साथ एकांत में थे तभी अर्जुन के पास एक व्यक्ति रोता हुआ आया और बोला कि, ‘मेरी गाय डाकू ले गए हैं। मेरी सहायता कीजिए।’ उस समय सारे अस्त्र-शस्त्र तो युधिष्ठिर के कक्ष में रखे थे। जहां वो द्रौपदी के साथ मौजूद थे। ऐसे में अर्जुन ने उस व्यक्ति की मदद करने के लिए कमरे में प्रवेश कर लिया। इसके कारण नियम टूट गया। अर्जुन को वनवास जाना पड़ा था।

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9. ऐसे थे पाण्डवों के साथ द्रौपदी के संबंध
एक बार जब सत्यभामा ने द्रौपदी से पूछा कि आप सभी पाण्डवों को कैसे खुश रखती हैं तो द्रौपदी ने कहा कि, ‘मैं अहंकार, काम, क्रोध को छोड़कर बड़ी ही सावधानी से सभी पांडवों की सेवा करती हूं। पति के अभिप्राय को पूर्ण संकेत समझकर अनुसरण करती हूं। मेरा मन पांडवों के सिवाय कहीं नहीं जाता। उनके स्नान किए बिना मैं स्नान नहीं करती।’

10. आदर्श नारी द्रौपदी

द्रौपदी को इतिहास में आदर्श नारी के तौर पर माना जाता है। पांच पुरुषों की पत्नी होने के बावजूद द्रौपदी की गिनती प्रभावपूर्ण महिलाओं में गिना जाता है।

 
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