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नहीं हटाए जाएंगे शिक्षामित्र, पास करनी होगी परीक्षा

दस सालों से पढ़ा रहे हैं शिक्षामित्र, उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों का समायोजन, शिक्षामित्रों पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 1.72 लाख शिक्षामित्रों का समायोजनsupreme-court

प्राइमरी स्‍कूलों में करीब दस सालों से पढ़ा रहे हैं शिक्षामित्र

नई दिल्‍ली। उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के समायोजन पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि समायोजित किए गए 1.72 लाख शिक्षामित्र नहीं हटाए जाएंगे लेकिन उन्हें दो भतिर्यों के अंदर परीक्षा पास करनी होगी, इसमें उन्हें अनुभव का भी वेटेज मिलेगा। इसके साथ ही टीइटी वालों को भी राहत मिली है। उनका अकादमिक रिकॉर्ड देखा जाएगा।

दस सालों से पढ़ा रहे हैं शिक्षामित्र, उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों का समायोजन, शिक्षामित्रों पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 1.72 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन
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बता दें कि उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित करना है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

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17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो भी पक्षकार लिखित रूप से अपना पक्ष रखना चाहता है वह एक हफ्ते के भीतर रख सकते हैं।

शिक्षामित्रों की ओर से सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल, नितेश गुप्ता, जयंत भूषण, आरएस सूरी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने अपनी ओर से दलीलें पेश की थी। अधिकतर वकीलों का कहना था कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनका भविष्य अधर में है।

ऐसे में उन्हें सहायक शिक्षक के तौर पर जारी रखा जाए। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करें।

शिक्षामित्र स्नातक बीटीसी और टीईटी पास हैं। कई ऐसे हैं जो करीब 10 सालों से काम कर रहे हैं। शिक्षामित्रों की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह कहना गलत है कि शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है।

उन्होंने कहा कि सहायक शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है। वकीलों का कहना था कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए स्कीम के तहत शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी लेकिन ये नियुक्ति गलत ढंग से हुई है।

इलाहाबाद कोर्ट ने कहा था ‘नियुक्तियां असंवैधानिक’

इलाहाबाद कोर्ट ने कहा था कि शिक्षामित्रों की नियुक्तियां संविधान के खिलाफ हैं क्योंकि आपने बाजार में मौजूद प्रतिभा को मौका नहीं दिया और उन्हें अनुबंध पर भर्ती करने के बाद उनसे कहा कि आप अनिवार्य शिक्षा हासिल कर लो।

पीठ ने कहा कि यह बैकडोर एंट्री है जिसे उमादेवी केस (2006) में संविधान पीठ अवैध ठहरा चुकी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 शिक्षामित्रों की नियुक्तियों को अवैध ठहरा दिया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में इस आदेश को स्टे कर दिया था।

 

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