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मराठी अखबार ‘लोकसत्ता’ के संपादक के खिलाफ एफआईआर

मराठी अखबार ‘लोकसत्ता’ के संपादक के खिलाफ एफआईआर, मदर टेरेसा के बारे में बेअदबी व धर्मनिरपेक्षता पर खतरे का आरोपloksatta marathi newspaper

लखनऊ। मराठी अख़बार ‘लोकसत्ता’ में प्रकाशित एक लेख में ईसाई धर्म की निंदा, संत मदर टेरेसा के बारे में बेअदबी, देश के राजनीतिक नेतृत्व के पूरे वर्ग के खिलाफ झूठे प्रचार, देश की धार्मिक और जातीय तंत्र के लिए खतरे का आरोप लगाया गया है।

मराठी अखबार ‘लोकसत्ता’ के संपादक के खिलाफ एफआईआर, मदर टेरेसा के बारे में बेअदबी व धर्मनिरपेक्षता पर खतरे का आरोप
loksatta marathi newspaper

इसके अलावा विदेशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध को खतरे में डालने, नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, सरकार के प्रति असंतोष और नाराजगी भड़काने का प्रयास तथा भारत सरकार दूसरे देशों और विदेशी संस्थानों जैसे वैटिकन सिटी के रोमन कैथोलिक चर्च के हाथों की कठपुतली आदि जैसे आरोपों को लगाते हुए याचिका कर्ता लखनऊ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता प्रशांत कुमार ने ‘लोकसत्ता’ के संपादक गिरीश कुबेर के विरुद्ध लखनऊ के हजरतगंज थाने मे मुक़द्दमा दर्ज कराया है।

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प्रशांत कुमार का आरोप मराठी अख़बार ‘लोकसत्ता’ में प्रकाशित एक लेख के संबंध में औपचारिक रूप से एक शिकायत दर्ज करने के संबंध में है। यह लेख संपादकीय स्तंभ के रूप में है।

इस समाचारपत्र का नाम ‘लोकसत्ता’ है जो इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का एक भाग है, जिसके संपादक गिरीश कुबेर हैं। उनका कार्यालय एक्सप्रेस टावर्स, नरीमन प्वाइंट, मुंबई- 400021 में है।

यहाँ पर मराठी भाषा में इस समाचारपत्र में प्रकाशित किए गए लेख की एक प्रतिलिपि तथा कथित लेख का अंग्रेज़ी अनुवाद संलग्न किया जा रहा है।

  1. शिकायतकर्ता लखनऊ में अभ्यासरत वकील है। धार्मिक विश्वास वाला व्यक्ति होने के नातेए कथित लेख से उसकी भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है। शिकायतकर्ता का पूरा पता और अन्य संपर्क विवरण इस शिकायत के बाद के भाग में प्रदान किया गया है।
  2. यह प्रस्तुत किया गया है कि इस लेख में सामान्यतः ईसाई धर्म की निंदा की गई हैए और विशेष रूप से संत मदर टेरेसा के बारे में बेअदबी से बात की गई है।

इसके अतिरिक्त यह असत्यापित और कभी भी साबित न होने वाले दावे के आधार पर गलत बयान का प्रदर्शन करते हुए देश के राजनीतिक नेतृत्व के पूरे वर्ग के खिलाफ झूठे प्रचार में शामिल है। इस लेख में जानबूझकर उत्तेजक सामग्री डाली गई है।

धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थानों, चिन्हों और नेताओं को आगामी घटनाओं की वास्तविकता के पूर्वाग्रह के बिना नाराज किया गया है, यह प्रस्तुत किया गया है कि बाद के पैराग्राफ में विशेष उदाहरणों का वर्णन किया गया है।

जिससे यह लेख हमारे देश की धार्मिक और जातीय तंत्र के लिए खतरा ही नहीं है बल्कि यह गंभीर रूप से विदेशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध को खतरे में डालता है।

  1. संलग्नक में निहित उद्धरण ;पूर्ण नहीं बल्कि केवल अर्थपूर्ण लेखक की तरफ से तथा भारत के विभिन्न वर्गों के नागरिकों की धार्मिक भावनाओं के प्रकाशक के लिए दुर्भावनापूर्ण साबित होंगे। यह लेख इस देश के नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और उन्हें नाराज करने का अपमानजनक एवं जानबूझकर किया गया एक गलत प्रयास है।

यहां पर शिकायतकर्ता भारत के नागरिकों के एक बड़े वर्ग के साथ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले इस दुर्भावनापूर्ण लेख से अप्रसन्न है।

  1. कथित लेख में निहित बयान जो जानबूझकर इस देश के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच घृणा और दुश्मनी पैदा करने की कोशिश करता हैए जिसे सर्वश्रेष्ठ रूप से अफवाह फैलाने वाला बयान कहा जा सकता है और सबसे बुरी बात यह है कि इस प्रकार के धार्मिक नेता मानवता के लिए सभी धर्मों के केवल योगदान हैं, उद्धरण ईश्वर की निंदा करते हैं।

चाहे यह बालाजी हो जो लड़का के लिए गर्भ संस्कार बेचता है या बाबा या बापू हो जो स्वयं को रामए छोटे भाई लक्ष्मणए और उनकी हीरे-जवाहरात से लदी सीता का अवतार कहता है और अपने बौद्धिक रूप से अक्षम भक्तों का आर्थिक और यौन शोषण करता है।

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