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उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का कृषि घोटाले से भी जुड़ा था नाम

देहरादून| उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत आरएसएस के लंबे समय से वफादार हैं, लेकिन एक बार उनका नाम करोड़ों रुपये के एक कृषि घोटाले से भी जुड़ा था। रावत वैसे अपने प्रशासनिक और संगठानात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं। इसी कारण कई सारे भारी भरकम नेताओं को दरकिनार कर पार्टी ने उन्हें इस पहाड़ी राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी है।

रावत ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है, और साथ ही उन्होंने गढ़वाल के श्रीनगर स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की है। वह 19 वर्ष की उम्र में 1979 में आरएसएस में शामिल हुए थे।

रावत को 1997 में अविभाजित उत्तर प्रदेश का पार्टी महासचिव (संगठन) बनाया गया और गढ़वाल व कुमाऊं क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठित करने की उन्हें जिम्मेदारी दी गई थी। यह क्षेत्र अब उत्तराखंड है, जो 2000 में अस्तित्व में आया।

भाजपा ने नित्यानंद स्वामी के नेतृत्व में 2000 में उत्तराखंड की पहली सरकार बनाई थी। रावत ने पहली बार 2002 में देहरादून की दोइवाला सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था और विजयी हुए थे। यद्यपि भाजपा कांग्रेस के हाथों हार गई थी।

रावत 2007 में भी इस सीट को जीतने में कामयाब रहे, और इस बार राज्य में भाजपा की जीत हुई थी और बी.सी. खंडूरी के नेतृत्व में बनी सरकार में रावत कैबिनेट मंत्री बने थे और उन्हें कृषि मंत्रालय दिया गया था।

रावत का नाम विवादों से भी जुड़ा रहा। राज्य में हुए करोड़ों रुपये के बीज घोटाले में उनका नाम आया था। उन पर आरोप लगा था कि उनके कार्यकाल में कृषि विभाग ने उन किसानों के लिए एक हरित खाद वाली फसल की खरीदी की थी, जिनके खेत अत्यधिक उर्वरक के इस्तेमाल के कारण खराब हो गए थे। इस खरीदी में वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे थे।

लेकिन रावत ने आरोपों का खंडन किया था और कथित अनियिमितता की जांच के बाद वह बेदाग साबित हुए थे। वह 2012 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड की रायपुर सीट से हार गए थे। उसके बाद 2014 में दोइवाला सीट के लिए हुए उपचुनाव में भी वह कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट से हार गए थे।

रावत ने अपनी हार का बदला इस बार दोइवाला से बिष्ट को 24,000 से अधिक मतों से पराजित कर के लिया। यही नहीं, भाजपा ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटें जीत ली।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ रावत का घनिष्ठ संबंध रहा है, और इसी कारण 2013 में उन्हें पार्टी महासचिव बनाया गया। इसके एक वर्ष बाद शाह ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश का उपप्रभारी नियुक्त किया। रावत को झारखंड का भी प्रभार दिया गया, जहां उन्होंने भाजपा सरकार के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रावत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रिय योजना ‘नमामि गंगे’ का राष्ट्रीय संयोजक नियुक्त किया गया। रावत (58) एक सैन्य परिवार से हैं और सैन्य अधिकारी पिता की 9वीं संतान हैं। उन्होंने पौड़ी गढ़वाल के खेरासैन में एक गांव में स्थित स्कूल से प्रारंभिक पढ़ाई की थी। रावत की पत्नी एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं और दोनों को दो बेटियां हैं। रावत उत्तराखंड के 9वें मुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

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Dileep Kumar
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