Regional

हंडिया का सूर्य मंदिर : भास्कर उपासकों का केंद्र

महापर्व छठ, नवादा की सीमा, बिहार के गया, हंडिया स्थित सूर्य नारायण मंदिरnawada surya mandir
महापर्व छठ, नवादा की सीमा, बिहार के गया, हंडिया स्थित सूर्य नारायण मंदिर
nawada surya mandir

पटना| महापर्व छठ शुरू होने के साथ ही बिहार के गया व नवादा की सीमा पर हंडिया स्थित सूर्य नारायण मंदिर भगवान भास्कर के उपासकों से गुलजार होने लगा है। लोक आस्था है कि नवादा जिला के नारदीगंज प्रखंड में हंडिया का प्राचीन सूर्य मंदिर द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के बेटे साम्ब ने बनवाया था।

मान्यता है कि यहां स्थित सरोवर में पांच रविवार को स्नान करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल जाती है। यहां छठ पूजा के मौके पर भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।

जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को गोपियों ने भ्रमवश श्रीकृष्ण मान लिया था। साम्ब ने गोपियों को अपनी पहचान नहीं बताई और गोपियों की लीला में शरीक हो गए। यह पता चलने पर श्रीकृष्ण क्रोधित हो गए। उनके श्राप से साम्ब कुष्ठ रोगी हो गए।

साम्ब ने जब श्रीकृष्ण से कुष्ठ-मुक्ति की प्रार्थना की, तब पिता ने उन्हें 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण कराने को कहा। कहा जाता है कि हंडिया का सूर्य मंदिर उन्हीं में से एक है।

मंदिर के समीप एक तालाब (सरोवर) स्थित है। माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने पर सभी तरह के कुष्ठ रोग दूर हो जाते हैं। काफी संख्या में लोग प्रत्येक रविवार को सरोवर में स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।

हंडिया को द्वापरकालीन सूर्यमंदिर माना जाता है। मंदिर और उसके आसपास पुरातात्विक महत्व की कई चीजें हैं, जो मंदिर की गौरवशाली अतीत को बताती हैं।

हंडिया पंचायत के मुखिया प्रमोद कुमर ने बताया कि लोक आस्था के महापर्व छठ में अघ्र्यदान के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। आसपास के ग्रामीण इलाकों के साथ ही दूसरे जिले और सूबे के छठव्रती भी यहां पहुंचकर भगवान भास्कर को अघ्र्यदान करते हैं। यहां के ग्रामीण अघ्र्यदान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं।

उन्होंने बताया कि स्थानीय ग्रामीण व्रतियों की सेवा को अपना सौभाग्य समझते हैं। सड़क और तालाब की सफाई, रोशनी की व्यवस्था, पेयजल की व्यवस्था की जिम्मेवारी ग्रामीण खुद संभालते हैं।

हंडिया प्रसिद्ध पर्यटक और ऐतिहासिक स्थल राजगीर से पांच किलोमीटर और नवादा से 31 किलोमीटर की दूरी पर है। वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार रवींद्रनाथ कहते हैं मंदिर के आस-पास समय-समय पर की गई खुदाई में कई प्रतीकचिह्न् और पत्थर के बने रथमार्ग के चिह्न् प्राप्त हुए थे।

वह कहते हैं कि इतिहास की पुस्तकों के मुताबिक, यह श्रीकृष्ण का प्रभाव वाला इलाका रहा है। मगध सम्राट जरासंध का मुख्यालय राजगीर था। मान्यता है कि मगध सम्राट जरासंध की पुत्री धन्यावती भी राजगीर से हंडिया आती थी।

पास में ही धनियावां पहाड़ी पर एक शिव मंदिर भी है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना धन्यावती ने की थी। प्रतिदिन वह इसी रास्ते उस मंदिर में पूजा करने जाती थी।

=>
=>
loading...