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हंगामे के बीच स्थगित हुई राज्यसभा की कार्यवाही

राज्यसभा, नोटबंदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, एटीएम और बैंकोंrajya sabha
राज्यसभा, नोटबंदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, एटीएम और बैंकों
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नई दिल्ली | राज्यसभा में विपक्ष ने लगातार तीसरे दिन नोटबंदी के मुद्दे को पूरे जोरशोर से उठाया। हंगामे के बीच सोमवार को राज्यसभा पांच बार स्थगित की गई और अंतत: मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

विपक्ष पूरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करता रहा। विपक्ष ने सभापति के आसन के सामने जमा होकर नारा लगाया, ‘गली गली में शोर है, नरेंद्र मोदी चोर है’ और ‘जनविरोधी नरेंद्र मोदी, होश में आओ होश में आओ।’

सदन को हंगामे के बीच पांच बार स्थगित करना पड़ा और अपरान्ह तीन बजे इसे दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।

उत्तेजित विपक्ष ने रेल राज्यमंत्री राजेन गोहेन को कानपुर के पास रविवार को हुए ट्रेन हादसे पर भी बोलने नहीं दिया।

सदन के स्थगन और भोजनावकाश के बाद जब कार्यवाही फिर शुरू हुई तो कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के सांसदों ने सरकार और नोटबंदी के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए।

उप सभापति ने विपक्ष से आग्रह किया कि वह गोहेन को बयान देने दे। विपक्ष ने कहा कि ट्रेन हादसा बेहद गंभीर मामला है लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और राज्य मंत्री को बयान देने के लिए भेज दिया।

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, “सदन को महत्व नहीं दिया जा रहा है। वह (गोहेन) कैबिनेट मंत्री नहीं हैं। रेल मंत्री व्यस्त नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु को सदन में आकर बयान देना चाहिए।

इससे पहले सदन की कार्यवाही दोबारा 12.30 बजे शुरू होने के बाद विपक्ष के हंगामे के बीच संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि विपक्ष देश का मूड समझने में सक्षम नहीं है, लोग नोटबंदी के पक्ष में हैं।

विपक्ष के सांसदों ने नकवी के बयान का पुरजोर विरोध किया।

विपक्षी दल केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद एटीएम और बैंकों के बाहर कतार में खड़े लोगों की मौत पर शोक जताने की मांग करते रहे।

सभापति हामिद अंसारी ने हंगामा कर रहे सांसदों से शांत रहने की अपील की लेकिन वे चिल्लाते रहे। इसके बाद सभापति ने दोपहर दो बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

इससे पहले राज्यसभा की कार्यवाही रविवार को हुए कानपुर रेल हादसे में मरने वाले 130 यात्रियों को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुई।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य सीताराम येचुरी ने सवाल किया, “यदि रेल दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति शोक जताया जा सकता है तो नोटबंदी के बाद कतार में लगे लोगों की मौत पर शोक क्यों नहीं व्यक्त किया जा सकता?”

 

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